2009 Subjective Question Answers
खण्ड-'ब' (लघु उत्तरीय प्रश्न)
1. मेट्रो रेलवे क्या है ?
उत्तर - मेट्रो रेलवे एक ऐसी विधुत चालित रेल सेवा है जो भूमि के नीचे सुरंगों में चलती हैं | प्रायः ये रेले शहरी क्षेत्र में ट्राफिक की समस्या से निपटने के लिए चलाई जाती हैं जिससे लोग कम समय में अपने घर, दफ्तर आदि पहुँच सके | इन्हें मेट्रो रेल, मेट्रो, सब-वे अथवा त्वरित रेल (रैपिड रेल) भी कहा जाता है। ऐसी सेवा कोलकाता, दिल्ली जैसे शहरों में उपलब्ध हैं |
2. महानगर किसे कहते हैं ? संक्षेप में बतलाइए।
उत्तर - दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर को महानगर (Metropolitan) कहा जाता हैं। भारत में आजादी के पूर्व मात्र कोलकाता तथा मुम्बई दो महानगर थे | परन्तु धीरे-धीरे इनकी संख्या बढती गई और वर्तमान में 2011 तक इनकी संख्या 46 हो चुकी हैं | इनमें ग्रेटर मुम्बई, कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई, हैदराबाद, अहमदाबाद, पुणे, कानपुर, लखनऊ, सूरत, जयपुर
, कोचीन, कोयम्बटूर, बड़ोदरा, पटना, मदुरई, भोपाल, विशाखापट्टनम् वाराणसी, लुधियाना आदि शामिल हैं। इन महानगरों में देश की कुल नगरीय जनसंख्या का 65% भाग रहता है।
3. भारत में सिंचाई के कौन-कौन से साधन हैं ?
उत्तर – फसलों को उगाने के लिए कृत्रिम तरीके के द्वारा मृदा तक जल पहुँचाने की क्रिया को सिंचाई (irrigation) कहते हैं । भारत में सिंचाई के निम्न साधन हैं-
(i) कुआँ, (ii) नहर, (iii) नदी, (iv) ट्यूवबेल ।
4. बहुउद्देशीय योजना का क्या अर्थ है ?
उत्तर – बहुउद्देशीय योजना का अर्थ ऐसी योजना से जिनसे एक साथ कई उद्देश्यों की पूर्ति हो | प्रायः नदी घाटी बाँध परियोजनाओं को बहुउद्देशीय परियोजना कहा जाता हैं क्योंकि इनके निर्माण से कई लाभ मिलते हैं जैसे – बाढ़ पर नियंत्रण, सस्ता जल विधुत, सिंचाई के लिए पानी, यातायात की सुविधा, मत्स्यपालन, पर्यटन को बढ़ावा इत्यादि |
5. आधुनिक निर्माण उद्योग की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं ? उत्तर - आधुनिक निर्माण उद्योग जटिल तकनीकी तंत्र (मशीनीकरण) की सहायता से उत्पादन कार्य करता हैं, जिसमें कम समय एवं कम लागत में अधिक माल का उत्पादन किया जाता है। इस तरह के उद्योग में काफी कुशल श्रमिकों और अधिक पूंजी की आवश्यकता पड़ती हैं तथा उत्पादित सामानों को बाजार तक ले जाने की उत्तम व्यवस्था रहती हैं |
6. विश्व जनसंख्या वितरण की प्रमुख विशेषताओं को संक्षेप में
लिखिए।
उत्तर – विश्व में जनसंख्या वितरण असमान
मिलती है | विश्व में सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व तीन प्रदेशों में मिलती हैं | ये
क्षेत्र निम्न हैं -
(i) सयुंक्त राज्य अमेरिका का उत्तर-पूर्वी भाग
(ii) यूरोप का उत्तर- पश्चिमी तथा दक्षिणी भाग
(iii) दक्षिणी-पूर्वी और पूर्वी एशिया |
जबकि निम्नलिखित प्रदेशों में जनसंख्या नगण्यता पायी
पाती हैं जैसे -
(i) उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के
निकट
(ii) ऊष्ण और शीत मरुस्थल
(iii) विषुवत रेखा के निकट
इसके अलावे विश्व जनसंख्या का 90 % स्थल भाग के मात्र 10% क्षेत्र पर निवास करती हैं | इनमें भी विश्व की 60% जनसंख्या 10 सर्वाधिक आबाद देशों में रहती हैं। इन 10 देशों में से 6 एशिया महादेश में ही हैं।
7. जलविद्युत शक्ति का विकास उत्तर भारत में अधिक क्यों हुआ है? कोई तीन कारण लिखिए।
उत्तर - जल विद्युत शक्ति का विकास उत्तर भारत में अधिक होने के तीन प्रमुख कारण है -
(i) उत्तर भारत की नदियाँ सदावाहिनी हैं जो गहरी, संकरी घाटियों से
होकर गुजरती है।
(ii) इन पर बाँध बनाना एवं विद्युत उत्पादन करना
सुगम है।
(iii) कई महत्वपूर्ण औद्योगिक प्रदेशों से होकर
बहने के कारण बिजली
की माँग यहाँ अधिक है।
8. वृद्धि (Growth)एवं विकास (Development) के मध्य क्या अंतर है ?
उत्तर - वृद्धि एवं विकास दोनों समय आधारित है। वृद्धि (Growth) मात्रात्मक होता हैं | यह मूल्य निरपेक्ष होता है। यह एक समय के बाद रुक जाता हैं | जैसे पेड़-पौधा एवं जीव-जंतु का विकास | जबकि विकास का संबंध गुणात्मक परिवर्तन से है। यह तब होता है जब गुणवत्ता में सकारात्मक परिवर्तन आता है। जैसे ज्ञान में वृद्धि |
खण्ड- 'स' (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)
1. भारत में गेहूँ उत्पादन की अनुकूल भौगोलिक दशाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर - गेहूं की फसल रबी की फसल है | यह भारत की दूसरी प्रमुख खाद्य फसल है। इसकी खेती यहाँ के कुल कृषि क्षेत्र के 15% भाग पर की जाती है। इसकी खेती के लिए यहाँ निम्नलिखित भौगोलिक सुविधाएँ उपलब्ध होनी चाहिए -
(i) तापमान – गेहूँ को बोते समय 10°C के आसपास तापमान एवं आर्द्रता की आवश्यकता होती है जबकि पकते समय 20° - 27°C तापमान एवं शुष्क मौसम चाहिए । भारत में यह फसल अक्टूबर- नवम्बर में बोया जाता है और मार्च-अप्रैल तक काट लिया जाता है।
(ii) वर्षा – इसकी खेती के लिए 80 cm से कम वर्षा पर्याप्त हैं | शीतकालीन वर्षा गेहूँ के फसल की वृद्धि में सहायक होती है।
(iii) भौगोलिक क्षेत्र – गेहूँ एक शीतोष्ण कटिबंधीय फसल हैं अतः इसकी खेती मध्य अक्षांशों वाले क्षेत्रों में की जाती हैं | अतः इसीकारण भारत में इसकी खेती उत्तरी मैदान के उत्तर-पश्चिमी भाग में की जाती है। इसके अंतर्गत पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश , राजस्थान एवं गुजरात राज्य शामिल हैं। महाराष्ट्र गुजरात की काली मिट्टी में इसकी खेती बिना सिंचाई के की जाती है। इन भौगोलिक सुविधाओं के कारण भारत में विश्व का 12% गेहूं उत्पन्न किया जाता है।
अथवा
भारत में पेट्रोलियम के उत्पादन एवं वितरण का वर्णन करें।
उत्तर - पेट्रोलियम एक ऐसा अकार्बनिक तरल पदार्थ है, जो अवसादी चट्टानों के बीच में पाया जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार भारत के लगभग 14 लाख वर्ग मी क्षेत्र में तेल भंडार हैं, जिसमें सबसे विशाल असम तेल क्षेत्र है। भारत के इयोसीन एवं मायोसीन काल की अवसादी चट्टानों में पेट्रोलियम के भंडार मिलते हैं। सर्वप्रथम असम के डिगबोई में इसका पता चला था। उसके बाद द्वितीय और तृतीय पंचवर्षीय योजना कालों में भारत के विभिन्न भागों में तेल की खोज तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग द्वारा की गयी। विशेषज्ञों के अनुसार भारत में लगभग 6 अरब टन के महाद्वीपीय मग्नतट के लगभग लगभग वर्ग किमी क्षेत्र में परतदार चट्टानें पेट्रोलियम से भरी हैं।
1951 ई. में देश में पेट्रोलियम का कुल उत्पादन 205 लाख टन था जो 2001 बढ़कर 320 लाख टन हो गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पेट्रोलियम के उत्पादन में 50 गुणा से भी अधिक वृद्धि हुई हैं |
भारत में पेट्रोलियम के तीन मुख्य उत्पादक क्षेत्र हैं - (1) असम तेल क्षेत्र, (ii) गुजरात तेल क्षेत्र, (ii) मुंबई हाई तेल क्षेत्र। इसके अलावा गोदावरी और कावेरी नदी के बेसिनों में तथा बंगाल की खाड़ी के मग्नतट पर भी तेल मिले हैं। बिहार के उत्तरी मैदानी भाग में भी तेल की खोज का कार्य जारी है। इन क्षेत्रों से प्राप्त कच्चे तेल का उपयोग तेल शोधक कारखानों परिष्कृत करने के बाद ही की जाती हैं |
2. आयु- लिंग पिरामिड का वर्णन करें।
उत्तर - जनसंख्या की आयु लिंग पिरामिड का तात्पर्य विभिन्न आयु वर्ग में पुरुषों तथा स्त्रियों की संख्या से है । किसी भी पिरामिड के प्रत्येक आयु वर्ग में बायीं तरफ पुरुषों तथा दायी तरफ स्त्रियों के प्रतिशत जनसंख्या को दिखाया जाता है। पिरामिड का आकार होने के कारण ही आयु-लिंग आरेख को पिरामिड आरेख भी कहा जाता है पिरामिडनुमा आकार वहाँ का छोटा है जहाँ उच्च जन्म दर के कारण कम उम्र के बच्चों की जनसंख्या अधिक तथा बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण अधिक उम्र वालों की संख्या कम होती है। यह अल्पविकसित देशों का प्रतिनिधित्व करता है। जैसे-मैक्सिको या बंगलादेश का पिरामिड | जबकि विकसित देशों का आयु-लिंग पिरामिड का आधार संकीर्ण(पतला) एवं शीर्ष शंकुकार होता है। आस्ट्रेलिया का आयु-लिंग पिरामिड घंटी के आकार का है जो समान दर और मृत्यु दर को इंगित करता है, जबकि जापान जैसे विकसित देशों का पिरामिड संकीर्ण आधार एवं शुंकुकार शीर्ष वाला होता है जो निम्न जन्म-दर तथा निम्न मृत्यु को प्रदर्शित करता है। इन देशों में जनसंख्या वृद्धि शून्य या ऋणात्मक होती है। इस प्रकार आयु- लिंग संरचना पिरामिड के द्वारा किसी देश की आर्थिक एवं सामाजिक परिस्थितियों की जानकारी प्राप्त होती है।
अथवा, अंतरराष्ट्रीय व्यापार में पनामा नहर की महत्ता का वर्णन करें।
पनामा नहर का निर्माण अटलांटिक एवं प्रशांत महासागर के तटीय देशों को जोड़ने उद्देश्य से 1913 ई. में किया गया था। 72 किमी० लंबा यह नहर पनामा नगर और कोलोन के बीच फैला है। इस नगर मार्ग के मध्य 6 दरवाजे या जलबंध बनाए गए हैं जो यहाँ से समुद्र जहाजों को पार करने में मदद करती हैं। दोनों महासागरों के जलस्तर में 26 मीटर का अंतर होने के कारण इस नहर को पार करने पर जहाजों को 26 मीटर ऊपर-नीचे होकर जाना पड़ता है। इस नहर के बन जाने के बाद सबसे अधिक लाभ संयुक्त अमेरिका को हुआ हैं | इसके पूर्वी और पश्चिमी तट के बीच यात्रा की दूरी और समय दोनों में काफी कमी हो गई । न्यूयार्क तथा सेन फ्रांसिस्को के बीच लगभग 1300 किमी० की कमी आयी। इसी तरह अमेरिका के पश्चिमा तथा दक्षिण अमेरिका के पूर्वी तटों एवं यूरोप तथा एशिया के बीच को यात्रा और समय कम हो गया है। इसी तरह इतरी अमेरिका के पूर्वी तट और दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमी तटीय देशों के बीच समय और दूरी कम हो गया है। समय और दूरी कम लगने से वस्तुओं के परिवहन पर लगने वाले खर्च में भी की आयी है। नहर को प्रशांत महासागर का सिंहद्वार भी कहा जाता है। इस नगर मार्ग के बन जाने से सेन फ्रांसिस्को से लिवरपुल के मध्य 8000 किमी तथा न्यूयार्क एवं आर्कलैंड के मध्य 4000 किमी की दूरी में कमी आयी है।
3. विश्व में जनसंख्या वृद्धि की प्रकृति का वर्णन करें।
उत्तर - वर्तमान समय में विश्व की जनसंख्या 600 करोड़ से अधिक है। ईसा की पहली सदी में जनसंख्या 30 करोड़ से कम थी जो 1650 ई. के आसपास बढ़कर 50 करोड़ हो गयी | औद्योगिक क्रांति के बाद विश्व की जनसंख्या में विस्फोटक वृद्धि दर्ज हो गयी। 1850-1930 ई. के 80 वर्षों के दौरान जनसंख्या एक अरब से बढ़ कर दो अरब हो गयी |1960-75 के 15 वर्षों के दौरान यह 3 अरब से 4
अरब हो गयी जबकि 1975-1999 ई. के 24 वर्षों की अवधि में यह 6 अरब तथा अगले 12 वर्षों के दौरान 2011 ई. में 7 अरब हो गयी हैं | जिससे निम्न तालिका से देख के स्पष्ट किया जा सकता हैं -
|
वर्ष |
जनसंख्या |
|
1 ई. |
2 करोड़ |
|
1000 |
30 करोड़ |
|
1650 |
50 करोड़ |
|
1850 |
100 करोड़ |
|
1930 |
200 करोड़ |
|
1975 |
400 करोड़ |
|
1999 |
600 करोड़ |
|
2011 |
700 करोड़ |
इसी प्रकार, विश्व जनसंख्या को दो गुना होने की अवधि प्रवृत्ति भी उल्लेखनीय है। इसे 50 से 100 करोड़ होने में 200 वर्ष लगे। 100-200 करोड़ होने में 80 वर्ष तथा 200-400 करोड़ होने में 45 वर्ष लगे हैं। जबकि 400-600 करोड़ होने में मात्र 24 वर्ष लगे । इस प्रकार विश्व की जनसंख्या वृद्धि की प्रवृत्ति से यह स्पष्ट है कि यह घटते हुए समयावधि के दौरान एक अरब बढ़ जाती है।
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अवधि |
जनसंख्या |
जनसंख्या दोगुनी होने की अवधि |
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1650 ई. |
50 करोड़ |
|
|
1850 ई. |
100 करोड़ |
200 वर्ष |
|
1930 ई. |
200 करोड़ |
80 वर्ष |
|
1975 ई. |
400 करोड़ |
45 वर्ष |
|
1999 ई. |
600 करोड़ |
24 वर्ष |
अथवा,
गहन निर्वाहन कृषि क्या है ? विवरण दीजिए। उत्तर - गहन निर्वहन कृषि मॉनसून प्रदेश की कृषि हैं। जनसंख्या दबाव अधिक होने के कारण छोटे होते जा रहे खेतों पर यहाँ परंपरागत कृषि औजारों एवं यंत्रों का प्रयोग किया जाता हैं | फलतः प्रति हेक्टेयर उत्पादकता यहाँ कम है। कृषि पर जनसंख्या के अत्यधिक दबाव के कारण ही इस प्रदेश में गहन निर्वहन कृषि की जाती है। यह कृषि दो प्रकार का होता है– (i) चावल प्रधान कृषि, (ii) चावल विहिन कृषि ।
(i) चावल प्रधान कृषि – इस कृषि में चावल की खेती प्रमुखता से की जाती है। भूमि का गहन उपयोग होते हुए भी मानवीय श्रम का उपयोग अभी भी अधिक होता हैं | हलांकि इसमें परीवर्तन का दौर जारी है। उर्वरता को कायम रखने के लिए गोबर की खाद का अधिक प्रचलन हैं, जिससे प्रति इकाई उत्पादन अधिक किन्तु प्रति किसान उत्पादन कम होता है। इसके अन्तर्गत मुख्य रूप से एशियाई देश शामिल हैं।
(ii) चावल विहिन कृषि -दूसरी ओर, उच्चावच, जलवायु, मिट्टी तथा अन्य भौगोलिक कारकों की विविधता के कारण है। कुछ देशों में धान की खेती नहीं की जाती है। ऐसे क्षेत्रों में गेहूँ तथा ज्वार बाजरा की खेती की जाती हैं | इसके अन्तर्गत चीन का मंचूरिया, उत्तरी कोरिया, जापान एवं भारत के उत्तरी एवं भाग शामिल है |
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