गुरुवार, 30 जुलाई 2020

रोमन भूगोलवेत्ताओं का योगदान

यूनानी साम्राज्य के पतन के पश्चात रोमन साम्राज्य का उदय हुआ। रोमन भूगोलवेत्ताओं ने मुख्य : रूप से ऐतिहासिक भूगोल  (Historical Geography) एवं  प्रादेशिक भूगोल (Regional Geography) के विकाश में महत्वपूर्ण योगदान दिया। यूनानी भूगोलवेत्ता पोलिबियस तथा  पोसिडोनियस का जो स्थान भौतिक भूगोल के अध्ययन में है,वही स्थान रोमन भूगोलवेत्ता स्ट्रेबो को ऐतिहासिक भूगोल एवं प्रादेशिक भूगोल के क्षेत्र में प्राप्त है।

स्ट्रेबो (Strabo)-63 B.C-24 A.D
स्ट्रेबो  ने उस समय के बसे हुए  संसार के ज्ञात भाग का वर्णन 17 किताबों की ग्रंथमाला भौगोलिक विश्वकोष (Geographycal Encyclopedia) के रूप में संकलित किया। उसने उस समय के समस्त भौगोलिक ज्ञान को एक साथ एकत्रित कर एक पुस्तक के रूप में पस्तुत करने का पहला प्रयास किया।  प्राचीन भूगोल के विषय में जो आज जानकारी उपलब्ध है वह मुख्य रूप से स्ट्राबो के Geographica से ही लिया गया ,है  क्योकि प्रारंभिक भूगोलवेत्ताओं द्धारा लिखी अधिकतर पुस्तके लुप्त  चुकी हैं।  इसने 43  ग्रंथो की रचना की , जिसका शीर्षक "ऐतिहासिक  स्मृतियां" (Historical Memories) रखा।
महत्वपूर्ण पुस्तके -
(i ) भौगोलिक विश्वकोष (Geographycal Encyclopedia)
(ii )ऐतिहासिक  स्मृतियां" (Historical Memories)
स्ट्रेबो प्रथम विद्धान था जिसने भूगोल की सभी शाखाओं (गणितीय , भौतिक ,राजनीतिक और ऐतिहासिक ) के बारे में लिखा।
इसे नियतिवादी चिंतन का प्रथम महत्त्वपूर्ण विचारक माना  जाता है।  पहली बार इसी ने एटलस और विसुवियस पर्वतो  का वर्णन किया और विसुवियस को "जलता हुआ पर्वत" कहा। अधिवासित प्रदेश के लिए ओकुमेन (Oikoumene) शब्द इस्तेमाल किया।
इसने पृथ्वी को दीर्घायत (Oblong) माना।



पोम्पोनियस मेला (Pomponius Mela )

महत्वपूर्ण पुस्तके -
(i ) कॉस्मोग्राफी (Cosmography )
(ii ) डि - कोरोग्राफिया (De -Chorographia )
कॉस्मोग्राफी (Cosmography )  अंतर्गत उसने विश्व / ब्रह्मांड का संक्षिप्त वर्णन किया जबकि डि - कोरोग्राफिया (De -Chorographia ) के अंतर्गत पृथ्वी को 5 बड़े क्षेत्रों में बांट कर शीतोष्ण क्षेत्र का भौगोलिक वर्णन प्रस्तुत किया। 



प्लिनी (Pliny )-27 A.D- 79 A.D

प्लिनी ने Historia Naturalis नामक पुस्तक की रचना की। यह पुस्तक ब्रहमांड , जीव विज्ञान  और मानव विज्ञान पर आधारित थी। जो 37 खंडों में लिखा गया था।

टॉलमी (Ptolemy)-90 A.D - 168 A.D
टॉलेमी का महत्वपूर्ण योगदान गणितीय भूगोल, मानचित्र कला एवं  सामान्य भूगोल के क्षेत्र में रहा।
महत्वपूर्ण पुस्तकें
1. आलमगेस्ट (Almagest )
2. जियोग्राफिक सिंटैक्सिस (Geographic Syntaxis )
3. भूगोल की रूपरेखा (The outline of Geography)
4.अनेलीमा ( Anaelema)
5. Geographia
Almagest  इनकी प्रमुख पुस्तक है जो की गणितीय एवं खगोलीय विज्ञान पर आधारित है।
गणितीय  भूगोल के क्षेत्र में इनका योगदान मुख्य रूप से प्रक्षेपों (Projection ) की रचना से  है। उसने शंक्वाकार प्रक्षेप में संशोधन किया तथा ध्रुवीय क्षेत्रों के लिए त्रिविम प्रक्षेप (Stereographic projection ) का प्रयोग किया।

टॉलेमी ने ही सबसे पहले बंगाल की खाड़ी  को अपने मानचित्र  दिखाया  साथ ही उसने हिमालय पर्वत और उससे निकलने वाली गंगा एवं उसके सहायक  नदियों को भी दिखाया।
 इसने संसार का चित्र (Imago Mundi) का  निर्माण किया जो कई शताब्दीओ  तक भौगोलिक जगत में मान्य रही। इसके ही लेखो से "खोज के महान युग " में भूगोलवेत्ताओं और अन्वेषकों को "अनजान भूमि" (Terra-Incognita) की खोज की प्रेरणा दी। हालांकि टॉलमी  अपने विश्व मानचित्र में पोसिडोनियस का परिधि को आधार बनाया, जिसके कारण वह वास्तविक आकार से छोटा हो गया। इसी मानचित्र की अशुध्दि के कारण कोलम्बस भारत की बजाये अमेरीका पहुँच गया।
कुछ विद्धवानो ने उसे साहित्यिक चोर (Plagiarist) ठहराया क्योकि उसने Marinus of Tyre एवं Hiparchus के कार्यो का उपयोग किया था।

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