1 अरब साम्राज्य का विस्तार यूनानी देशो तक फ़ैल जाना
2 परिवहन मार्गो का विकास
3 भारतीये एवं यूरोपीय संस्कृति से संपर्क बढ़ना
अरब भूगोलवेत्ताओं ने प्राचीन युग के मत्वपूर्ण यूनानी एवं रोमन ग्रंथो का अरबी में अनुवाद करके ज्ञान को संरक्षित किया जैसे-
* खलीफा अल-मामून (813 ई.) ने टॉलमी के पुस्तक "अल्माजेस्ट " अरबी भाषा में अनुवाद करवाया। इसके अलावे स्वच्छ आकाश एवं जलवायु आदि कारकों ने अरबों के भौगोलिक चिंतन के विकास में महत्वपूर्ण साबित हुआ। इन्होंने भूकेंद्रीय संकल्पना (Geocentric system) ग्रीक से ग्रहण की थी।
साथ ही बगदाद के खलीफा हरुल-अल-रशीद के संरक्षण में शिक्षण सस्थान बैतुल हिक्म (Baitul Hikma) की स्थापना ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अरब भूगोलवेत्ताओं ने गणितीय भूगोल , भौतिक भूगोल,एवं प्रादेशिक भूगोल के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इब्न सीना (Ibn Sina)-
इसे अरब जगत का भूगोल का पिता कहा जाता हैं ,इन्होने अरबी भाषा में विश्व कोष की रचना की, जिसमे भौतिक भूगोल के खास कर पर्वत निर्माण, मिट्टी निर्माण आदि विषयों पर वर्णन प्रस्तुत किया | साथ ही पर्वतीय भागो में अपक्षयण और अपरदन का अवलोकन किया और बताया की पर्वत का उत्थान होते ही अपरदन क्रिया प्रारंभ हो जाती है।
अल-बलखी (Al-Balakhi) -921 ई.
इसने अरब व्यापारियों से जलवायु संबंधित सूचनाओं एवं आंकड़ों को एकत्रित करके विश्व का प्रथम जलवायु मानचित्र "किताबुल अश्काल" (kitabul Ashkal) की रचना की।
अल-मकदूसी (Al-Maqdusi)-985 ई.
इन्होनें विश्व को 14 जलवायु प्रदेशों में बाँटा।
मत्वपूर्ण पुस्तके -
1. A book of Routes & Realm
2. Shape of the Earth
3. Countries of the world
अल-मसूदी (Al-Masudi) -890-956 A.D
यह अपने समय का प्रसिद्ध जलवायु वैज्ञानिक था। इसने भारतीय मानसून का उत्तम विवरण प्रस्तुत किया | इन्होने कैस्पियन सागर (Caspian Sea) में नौसंचालन करके निष्कर्ष निकला की, यह एक बंद सागर हैं।
सागरीये जल में विभिन्न रंगों के पाए जाने का मुख्य कारण- लवणता की भिन्नता एवं वनस्पति की उपस्तिथि को माना।
नदियों को अपरदन का सबसे मत्वपूर्ण कारक माना और निष्कर्ष में बताया की महासागरों में पाए जाने वाला लवण का सम्बन्ध स्थलिये भाग से है।
मत्वपूर्ण पुस्तके -
1. समय विवरवणिका (Annals of Times)
2.किताब-मुराज-अल-दहाब (Golden Meadows)
3. उपदेश एवं निरीक्षण (Exhortation and Inspection)
4. गजट निर्देश (Guide of Gazette)
.किताब-मुराज-अल-दहाब (Golden Meadows) किताब छोड़कर सभी किताबें नष्ट हो चुकी हैं।
अल-बरुनी (Al-Biruni) -973-1039 A.D

यह महमूद गजनवी के बुलावे पर हिन्दुस्तान आया था। यहाँ रहकर "किताब-अल-हिन्द" (Kitab-ul-Hind) नाम कि पुस्तक की रचना की , इस पुस्तक में हिमालय की तराई में पाए जाने वाले जलोढ़ निक्षेपों के गोल पत्थर का वर्णन किया गया हैं ।
अल-बरुनी ने उषा(Dawn) और सांध्य प्रकाश (Tubelight) के कारणों को बताया की जब सूरज क्षितिज से 18 डिग्री नीचे होता है तभी ये प्रकाश आकाश में बिखरती हैं।
उसने अपने पुस्तक रिसालाह (Risalah ) में दिन एवं रात की लम्बाई में होने वाले अंतर एवं ध्रुवों पर 6 महीनो की दिन रात होने के बारे में बताया।
मत्वपूर्ण पुस्तके -
1. अल-कानून-अल-मसूदी (Al-Qanun-al-Masudi)
2. तारीख़ुल-हिन्द (Tarikhul Hind)
3.अथर-अल-बगिया (The Vestige of the Past)
4.रिसालाह (Risalah )
इसका पुस्तक "अल-कानून-अल-मसूदी" टॉलमी की पुस्तक "अल्माचेस्ट" की तर्ज पर लिखी गई थी। उसने संस्कृत से मूल "पतंजलि" का अरबी में अनुवाद किया।
11वीं शताब्दी को अल-बरुनी काल के नाम से याद किया जाता हैं।
अल-इदरिसी (Al-Idrisi)-1099-1166 A.D
मत्वपूर्ण पुस्तके -
1. Amusements for him who desires to travel the world.
अरबी में इसे अल-रुबारी कहा जाता हैं।
2. Geographia Neubiensis
इब्न-बतूता (Ibn-Battuta)-1304-1377A.D

इसमें लगभग 75,000 मील की यात्रा की , जिसके कारन इसको अरब जगत का मार्को पोलो कहा जाता है।
यह मुहम्मद बिन तुगलक के काल में हिंदुस्तान आया था। इसने पुरे हिंदुस्तान की यात्रा की। तुगलक ने इसको दिल्ली का कोतवाल और फिर चीन में तुगलक साम्राज्य का राजदूत बनाया।
मत्वपूर्ण पुस्तके -
1. Rehla of Travels

इब्न खाल्दून (Ibn-Khaldun) -1332-1406 A.D
इसे अंतिम महत्वपूर्ण अरब भूगोलवेत्ता माना जाता हैं ,इसने अपनी पुस्तक "मुकद्दीमह" (Muqaddimah) में मानव एवं पर्यावरण के सम्बन्धो का वर्णन किया।
इसके अनुसार उष्ण जलवायु के निवासी लापरवाह और सुस्त होते हैं, जबकि समशीतोष्ण जलवायु के लोग फुर्तीले और बुद्धिवान होते हैं।
इसका विश्वास था की दक्षणी गोलार्द्ध अपेक्षा उत्तरी गोलार्द्ध में जनसंख्या की सघनता अधिक है।
इसको प्रथम पर्यावरणीय निश्चयवादी कहा जा सकता है, क्युकी इन्होने मानव-पर्यावरण सह-संबंध को वैज्ञानि आधार पर स्पष्ट करने का प्रयास किया।
अल-याकूबी -
इसने पश्चिम एशिया एवं भूमध्यसागरीय अफ्रीका के देशो के नगरों का भूगोल (Urban Geography) लिखा।
अल-जहानी -
इसने अरब देशों और मध्य एशिया के मार्गो का उल्लेख किया।
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