शनिवार, 15 जनवरी 2022

2012 (Arts) भूगोल गैर वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Subjective Questions)

1. प्रशासनिक नगर क्या है ? उपयुक्त उदाहरण दें।

उत्तर - राष्ट्र की राजधानियाँ जहाँ पर केंद्रीय सरकार के प्रशासनिक कार्यालय होते हैं उन्हें प्रशासनिक नगर कहा जाता है। जैसे नयी दिल्ली, केनबेरा, बीजिंग, अदीस अबाबा, वाशिंगटन डी.सी. एवं लंदन इत्यादि प्रशासनिक नगर हैं। राज्यों में भी ऐसे नगर हो सकते हैं जिनका कार्य प्रशासनिक हो, उदाहरण के लिए, विक्टोरिया (ब्रिटिश कोलंबिया), अलबैनी (न्यूयार्क), चेन्नई (तमिलनाडु) इत्यादि।


2. सार्क का पूरा नाम क्या है ? इसका मुख्यालय कहाँ है ?

उत्तर - सार्क (SAARC) का पूरा नाम साउथ एशियन एसोशिएशन फॉर रीजनल कॉपरेशन (South Asian Association for Regional Corporation) है | इसका मुख्यालय काठमांडू, नेपाल में हैं |


3. भारत द्वारा चंद्रमा पर भेजा गया पहला मानवरहित अंतरिक्ष यान कौन था ?

उत्तर - भारत द्वारा चंद्रमा पर भेजा गया पहला मानवरहित अंतरिक्ष यान चंद्रयान -1 था | जिसे भारत ने 22 अक्टूबर 2008 इसरो (ISRO) द्वारा सतीश धवन अन्तरिक्ष केंद्र से भेजा था | इस यान ने ही विश्व में सबसे पहले चंद्रमा की सतह पर जल की खोज की थी |



4. उपभोक्ता वस्तु उद्योग को उदाहरण सहित परिभाषित करें।

उत्तर - ऐसा उद्योग है जो उत्पादन, उपभोक्ताओं के सीधे उपयोग हेतु करते हैं। उसे उपभोक्ता उद्योग कहते हैं इसमें विशेष रूप से गृह उपयोगी वस्तुओं का उत्पादन होता है। जैसे कागज उद्योग, दंतमंजन, पंखा, बिस्कुट, सिमेंट उद्योग इसके उत्तम उदाहरण हैं।



5. ऊष्मा द्वीप' क्या है ? वर्णन करें।

उत्तर - नगरीय क्षेत्र में सघन जनसंख्या, वनस्पतियों का अभाव एवं कंक्रीट युक्त संरचना के अधिक होने के कारण नगर में अपने आस-पास के उपनगरीय या ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना तापमान अधिक पाया जाता हैं | इस ऊष्मा युक्त क्षेत्र को ही ऊष्मा द्वीप कहा जाता हैं |



6. पूर्व-पश्चिम एवं उत्तर-दक्षिण गलियारा के बारे में संक्षेप में लिखें।

उत्तर - पूरब-पश्चिम एवं उत्तर-दक्षिण गलियारा भारत के क्रमशः पूर्वी-पश्चिमी भाग एवं उत्तरी-दक्षिणी भागों को महामार्गों से जोड़ने के लिए बनाया गया हैं | पूरब-पश्चिम गलियारा भारत के पूरब में स्थित सिलचर को पश्चिम में स्थित पोरबंदर से जोडती हैं | इसकी कुल लम्बाई 3640 किलोमीटर हैं | जबकि उत्तर-दक्षिण गलियारा उत्तर में स्थित श्रीनगर को दक्षिण में स्थित कन्याकुमारी से जोड़ती हैं | इसकी कुल लम्बाई 4016 किलोमीटर हैं |



7. अनुदान क्या होता है ?


उत्तर – अनुदान वित्तीय सहायता या छुट है जिससे सरकार या पूंजीपतियों आदि द्वारा जरुरतमंदों की सहायता के लिए प्रदान की जाती हैं | जैसे – सरकारी अनुदान, कृषि यंत्र अनुदान, गैस सब्सिडी, बालिका अनुदान योजना इत्यादि |

8. भारत के चार वृहत् औद्योगिक क्षेत्रों के नाम लिखें।

उत्तर – भारत में कुल 8 मुख्य औद्योगिक प्रदेश हैं | जिनके नाम निम्नलिखित हैं –(i) मुंबई-पुणे औद्योगिक प्रदेश, (ii) हुगली औद्योगिक प्रदेश (iii) बंगलौर-तमिलनाडु औद्योगिक प्रदेश (iv) गुजरात औद्योगिक प्रदेश (v) छोटानागपुर औद्योगिक प्रदेश, (vi) विशाखापट्नम-गुंटूर औद्योगिक प्रदेश, (vii) गुड़गाँव-दिल्ली-मेरठ औद्योगिक प्रदेश, (viii) कोलम-तिरुवनंतपुरम औद्योगिक प्रदेश |



9. बेंगलुरू भारत का सिलिकन सिटी है, क्यों ?

उत्तर – सिलिकॉन वैली उस जगह को कहा जाता है, जहाँ किसी देश का टेक्नोलॉजी हब होता है | जिस प्रकार अमेरिका का टेक्नोलॉजी हब कैलिफोर्निया स्थित सैन फ्रांसिस्को का तटीय क्षेत्र में है जहाँ पर गूगल , एप्पल , फेसबुक समेत अन्य कई कंपनियों के मुख्य कार्यालय है | इसे स्टार्टअप्स के लिए स्वर्ग माना जाता है। उसी प्रकार भारत की मुख्य सॉफ्टवेयर कंपनियां जैसे विप्रो, इनफ़ोसिस जैसी बड़ी - बड़ी कंपनियों के कार्यालय बेंगलुरु में स्थित हैं | इसलिए बैंगलोर को सिलिकॉन वैली या "भारत की आईटी राजधानी" कहा जाता है |



10. कृषि कार्य को प्रभावित करनेवाले दो कारकों का उल्लेख करें।

उत्तर - कृषि कार्य को प्रभावित करने वाले कारक अनेक हैं। उनमें भौतिक कारक (जलवायु,मिट्टी इत्यादि), प्रौद्योकीय (यंत्र, उन्नत बीज, कीटनाशक, रासायनिक खाद), आर्थिक (बड़े किसान एवं छोटे किसान), सामाजिक सांस्कृतिक (कृषि का तरीका आदिम या आधुनिक), संस्थागत, संगठनात्मक, राजनीतिक कारक (सरकार की योजना एवं सहायता) शामिल हैं।

11. प्रवास से संबंधित किन्हीं तीन प्रतिकर्ष कारकों का उल्लेख करें।

उत्तर - एक स्थान से दूसरे स्थान को लम्बे समय के निवास के लिए प्रस्थान करना प्रवास कहलाता हैं | प्रवास के लिए कई प्रतिकर्ष कारक (Push factor) जिम्मेदार होते हैं जो कि निम्नलिखित हैं –

(i) बेरोजगारी,

(ii) रहन-सहन की निम्न दशाएँ,

(iii) राजनीतिक उपद्रव,

(iv) प्रतिकूल जलवायु,

(v) प्राकृतिक विपदाएँ,

(vi) महामारियाँ तथा

(vi) सामाजिक- आर्थिक पिछड़ेपन



12. जल प्रदूषण की रोकथाम के लिए चार महत्त्वपूर्ण सुझाव दें।

उत्तर - जल प्रदूषण की रोकथाम के चार महत्वपूर्ण सुझाव निम्नलिखित हैं-
(i) नदियों में कल-कारखानों के दूषित जल की साफ-सफाई कर छोड़ना।

(ii) नदियों में स्नान, घुलाई एवं शवदाह पर पूर्णतया रोक।

(iii) कीटनाशियों, कवकनाशियों इत्यादि के रूप में कम से कम प्रयोग करना चाहिए ।

(iv) जल की गुणवत्ता के लिए सदैव तत्पर रहना।

(v) बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों में जल शोधन संयन्त्रों को लगाना चाहिए, जिससे इनके द्वारा निकला जल शुद्ध होने के बाद ही जल स्रोतों में जा सके ।
(vi) नगरों के वाहित मल को आबादी से दूर छोड़ना चाहिए। वाहित मल में कार्बनिक पदार्थों को कम करने के लिए ऑक्सीकरण तालाब या फिल्टर बेड का प्रयोग करना चाहिए ।

(vii) पशुओं के प्रयोग के लिए अलग जल स्रोत का प्रयोग करना चाहिए ।

खण्ड-'' (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)

13. कार्यों आधार पर नगरों का विस्तृत कार्यात्मक वर्गीकरण प्रस्तुत करें।
उत्तर –
प्रत्येक नगर कई प्रकार के कार्य करने के लिए जाने जाते हैं लेकिन कुछ नगरों का विकास एवं विस्तार किसी विशेष कार्य को करने को लेकर होता हैं | अतः विशिष्ट कार्यों के आधार पर भारत के नगरों और कस्बों को निम्न श्रेणी में बाँटा जा सकता है -
(i) प्रशासनिक नगर (Administrative Town / City)- वे नगर जिनका विकास प्रशासनिक मुख्यालय के रूप में होता है। प्रायः राष्ट्रों और राज्यों की राजधानियाँ इसके अंतर्गत आते हैं जैसे- नई दिल्ली, केनबेरा, बीजिंग, अदीस अबाबा (अर्थ- नवीन पुष्प), वाशिंगटन डी.सी., लन्दन, विक्टोरिया (ब्रिटिश कोलंबिया), अलबैनी (न्यूयार्क), चेन्नई (तमिलनाडू) आदि |

(ii) औद्योगिक नगर (Industrial Towns) - ऐसे नगर उद्योग के कारण विकसित होते हैं – जैसे पीट्सबर्ग, जमशेदपुर, सेलम, कोयंबटूर, मोदीनगर, हुगली, भिलाई आदि ।
(ii) परिवहन नगर (Transport Towns)- ये नगर मुख्य रूप से आयात और निर्यात की गतिविधियों में लिप्त होते हैं। जैसे- सिंगापुर, पं. दीनदयाल उपाध्याय (मुगलसराय), इटारसी, कटनी, आगरा, कांडला, कोच्चि, कालीकट, विशाखापत्तनम |
(iv) व्यापारिक नगर (Commercial Towns)- वित्तीय एवं व्यापारिक कार्य करने वाले नगर को व्यापारिक नगर कहते हैं | कृषि बाजार कस्बे जैसे – विनिपेग एवं कन्सास, बैंकिंग एवं वित्तीय कार्य करने वाले नगर जैसे – फ्रैंकफर्ट, एम्सटर्डम, मुंबई आदि ।

(v) खनन नगर (Mining Towns)- ऐसे नगर जिनका विकास खनन कार्य को लेकर विकास हुआ हो जैसे – ब्रोकन हील, धनबाद, रानीगंज, झरिया, डिगबोई, अंकलेश्वर, सिंगरौली आदि।
(vi) छावनी नगर (Cantonment Towns)- ऐसे नगर जहाँ सेना की टुकड़ी निवास करती है उसे छावनी नगर कहते हैं जैसे - दानापुर, लखनऊ, अंबाला, जालंधर, महू, बबीना, मेरठ कैंट आदि ।

(vii) शैक्षिक नगर (Educational Towns)- ऐसे नगर जो शैक्षिक केंद्र के रूप में विकसित हो जैसे - रुड़की, वाराणसी, अलीगढ़, पिलानी आदि

(vi) धार्मिक और सांस्कृतिक नगर (Religious and Cultural Towns)- तीर्थ स्थान वाले नगर को धार्मिक और सांस्कृतिक नगर कहा जाता हैं जैसे – जेरुसलम, मक्का, जगन्नाथ पूरी, वाराणसी, मथुरा, अमृतसर, आबू आदि ।

(ix) स्वास्थ्य एवं मनोरंजन (पर्यटन) नगर (Tourist Towns)- मियामी, पणजी, नैनीताल, मंसूरी, शिमला, पंचमढ़ी, उढगमंडलम (उंटी), माउंट आबू इत्यादि पर्यटन नगर के रूप में विकसित हुए हैं |

अथवा,

 भारत में गेहूं के उत्पादन एवं वितरण का विवरण दें। विवेचना करें।

उत्तर - चावल के बाद गेहूँ हमारे देश की दूसरी प्रमुख खाद्यान्न फसल है। हमारा देश गेहूँ का विश्व में दूसरा बड़ा उत्पादक देश है जो विश्व का करीब 10 प्रतिशत गेहूँ उत्पादन करता है। यह शीतोष्ण कटिबंधीय फसल हैं जिसे यहाँ जाड़े की ऋतु में उगाई जाती हैं | इसके उत्पादन के लिए निम्न भौगोलिक जलवायु एवं दशा की आवश्यकता पड़ती हैं –

तापमान – गेहूँ एक शीतोष्ण कटिबंधीय फसल है अतः इसकी बओई 10-20 सेल्सियस तापमान पर किया जा सकता हैं | इसे पकते समय खिली धूप की आवश्यकता होती है |

वर्षा – इसकी खेती के लिय 50-75 सें०मी० वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है। 100 सें०मी० से अधिक वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र में इसकी खेती नहीं की जा सकती। सिंचाई की सहायता से गेहूँ 20 सें०मी० वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है |

मिट्टी – गेहूँ की खेती के लिए दोमट मिट्टी, जलोढ़ मिट्टी एवं काली मिट्टी उपयुक्त मानी जाती हैं |

उत्पादन क्षेत्र - इस फ़सल का 85 प्रतिशत क्षेत्र भारत के उत्तरी मध्य भाग तक केंद्रित है अर्थात् उत्तर गंगा का मैदान, मालवा पठार तथा हिमालय पर्वतीय श्रेणी में 2700 मीटर ऊँचाई तक का क्षेत्र शामिल है। देश में कुल गेहूँ उत्पादन का 2/3 हिस्सा पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से प्राप्त किया जाता है। उत्तरप्रदेश देश का सबसे बड़ा गेहूँ उत्पादक राज्य है | बिहार एवं पश्चिम बंगाल जैसे गैर परंपरागत क्षेत्रों में भी इसकी खेती बढ़ी है | राजस्थान, मध्यप्रदेश के मालवा के पठार तथा महाराष्ट्र में भी गेहूँ की कृषि बड़े क्षेत्र पर की जाती है।

      1967 ई० में देश में हरित क्रांति आयी और इसका सबसे अधिक प्रभाव हमारे देश में गेहूँ की खेती पर पड़ा।

14. भारत में जनसंख्या के असमान वितरण के कारकों की विवेचना करें |

उत्तर - संपूर्ण संसार के साथ-साथ भारत में भी जनसंख्या का असमान वितरण पाया जाता है। कहीं अत्यधिक सघन जनसंख्या पाई जाती है, तो कहीं जनविहीन क्षेत्र पाए जाते हैं। भारत में जनसंख्या वितरण को भौतिक, सामाजिक, आर्थिक, तथा ऐतिहासिक कारक प्रभावित करते हैं जोकि निम्नलिखित हैं -
(1) स्थलाकृति - उपजाऊ मैदानी क्षेत्र सघन जनसंख्या के लिए जिम्मेदार है जैसे – गंगा का मैदानी भाग, डेल्टाओं और तटीय मैदान, तो वही दूसरी ओर अनुपजाऊ पहाड़ी, पठारी एवं मरुस्थलीय क्षेत्र विरल जनसंख्या के लिए जिम्मेदार है जैसे – उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश के पहाड़ी भाग, थार मरुस्थल एवं लद्दाक |

(ii) जलवायु - अनुकूल शीतोष्ण जलवायु जनसंख्या को आकर्षित करती है, तो अत्यधिक शीत-प्रधान या गर्म मरुस्थलीय क्षेत्र जन-विहीन रहते हैं।

(iii) जल की उपलब्धता – भारत के जिन जिन भागों में पीने और कृषि कार्य हेतू जल उपलब्ध है वहाँ जनसंख्या का घनत्व उच्च पाया जाता हैं | राजस्थान में पहले न्यून जनसंख्या पाया जाता था परन्तु यहाँ सिंचाई के लिए जल उपलब्ध होते ही यहाँ की जनसंख्या बढ़ने लगी |

(iv) खनिजों की उपलब्धता – जिन क्षेत्रों में रहने के लिए अनुकूल भौतिक परिस्तिथियां मौजूद नहीं हैं परन्तु वहाँ खनिज मिलते हो तो उनके निष्काशन कार्य को लेकर वहाँ जनसंख्या अधिक पायी जाती हैं जैसे – झारखण्ड के पठारी भाग में |

(v) परिवहन जाल का विकास – जिन क्षेत्रों परिवहन जाल का विकास है जिसके कारण लोग वहां आसानी से आ एवं जा सकते हैं | वहां जनसंख्या का घनत्व उच्च पाया जाता हैं जैसे – प्रायद्वीपीय राज्यों में परिवहन का जाल बिछ जाने के बाद यहाँ जनसंख्या घनत्व अब बढ़ रहा हैं |

(vi) आर्थिक कारक – जिन क्षेत्रों में उद्योग धंधो का विकास अधिक हुआ हो और काम के अवसर अधिक मिलते हैं वहाँ जनसंख्या अधिक मिलती हैं |

(vii) सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक कारक - नगरीकरण की सुविधाएँ, चिकित्सा केन्द्र, शिक्षा केन्द्र एवं धार्मिक स्थल आदि में जनसंख्या अधिक पायें जाते हैं।

(viii) आपदा - बाढ़, सूखा, भूस्खलन, महामारी, अकाल, भूकम्प आदि क्रियाएँ जनसंख्या को कम करने तथा उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने को मजबूर करती हैं, जिससे जनसंख्या का वितरण प्रभावित होता है।

(ix) अशांति – जिन क्षेत्रों में आतंकवाद, नक्शालवाद आदि से प्रभावित हैं वहाँ से जनसंख्या का प्रवास अधिक होता हैं जिसके कारण जनसंख्या में न्यूनता देखी जाती हैं |

अथवा,

कच्चे माल के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण प्रस्तुत करें।
उत्तर -
कच्चे माल के आधार पर उद्योगों का निम्न भागों में वर्गीकृत कर सकते है –

(i) कृषि पर आधारित उद्योग – वैसे उद्योग जिनके कच्चे माल कृषि से प्राप्त होते हैं कृषि आधारित उद्योग कहलाते हैं | जैसे- चीनी उद्योग के लिए गन्ना एवं चुकंदर, खाद्य तेल के लिए सरसों, सोयाबीन,सूर्यमुखी , सूती वस्त्र उद्योग के लिए कपास, और जूट उद्योग के लिए जुट या पटसन इत्यादि कृषि से प्राप्त होते हैं |

(ii) खनिज पर आधारित उद्योग – वैसे उद्योग जिनके कच्चा माल विभिन्न प्रकार के खनिज हैं, खनिज आधारित उद्योग कहलाते हैं | जैसे- लोहा-इस्पात उद्योग के लिए लौह अयस्क, मैगनीज, कोयला इत्यादि, ऐलुमिनियम उद्योग के लिए बॉक्ससाइट और ताँबा उद्योग के लिए ताँबा अयस्क |

(iii) जंतु पर आधारित उद्योग – वैसे उद्योग जिनके कच्चा माल विभिन्न प्रकार के जीव-जंतुओं से प्राप्त होते हैं, जंतु आधारित उद्योग कहलाते हैं |  जैसे- ऊनी वस्त्र उद्योग के लिए ऊन की प्राप्ति भेड़, बकड़ी, एवं खरगोश के बाल से, चमड़ा उद्योग, दुग्ध-व्यवसाय के लिए दूध गाय एवं भैसों से, शहद की प्राप्ति मधुमक्खी से, रेशम की प्राप्ति रेशम की कीड़ों से, मांस उद्योग का कच्चा माल पक्षियों एवं जानवरों से इत्यादि |

(iv) वन पर आधारित उद्योग – वैसे उद्योग जिनका कच्चा माल वनों से प्राप्त होता हैं वन आधारित उद्योग कहलाते हैं | जैसेकागज उद्योग के लिए लकड़ियाँ, पान, पत्तल, जडीबुटी और लाह उद्योग इत्यादि |


15. भारत का मानचित्र बनाकर निम्नलिखित स्थानों को अंकित/प्रदर्शित करें :

(क) भिलाई      (ख) बरौनी       (ग) नोएडा       (घ) चेन्नई    (ङ) कैगा  (च) कोटा



अथवा,

भारत में पेट्रोलियम (Petroleum) के उत्पादन एवं वितरण का विवरण दें।
उत्तर – पेट्रोलियम शक्ति के समस्त साधनों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं व्यापक रूप से उपयोगी संसाधन है। भारत विश्व का मात्र 1 प्रतिशत पेट्रोलियम उत्पादन करता है। यहाँ इसके मुख्यतः पाँच तेल उत्पादक क्षेत्र हैं जोकि निम्नलिखित हैं -

1. उत्तरी-पूर्वी प्रदेश : यह देश का सबसे पुराना तेल उत्पादक क्षेत्र है, जहाँ 1866 ई० में तेल के लिए खुदाई शुरू की गई थी। इसके अन्तर्गत असम के डिगबोई, नहरकटिया, मोरान, रुद्रसागर आदि क्षेत्र, अरूणाचल प्रदेश का निगरू और नागालैण्ड का बोरहोल्ला तेल क्षेत्र आते हैं।

2. गुजरात क्षेत्र : यह क्षेत्र खम्भात के बेसिन तथा गुजरात के मैदान में विस्तृत है। यहाँ इसके मुख्य उत्पादक क्षेत्र अंकलेश्वर, कलोल, नवगाँव, कोसांबा, मेहसाना आदि हैं।

3. मुम्बई हाई क्षेत्र : यह क्षेत्र मुम्बई तट से 176 किलोमीटर दूर उत्तर-पश्चिम दिशा में अरब सागर में स्थित है। यहाँ 1975 में तेल खोजने का कार्य शुरू हुआ। यहाँ समुद्र में सागर सम्राट नामक मंच बनाया गया है जो एक जलयान है और पानी के भीतर तेल के कुएँ खोदने का कार्य करता है। भारत के कुल उत्पादन का 66 प्रतिशत यही से उत्पादन होता है।

4. पूर्वी तट प्रदेश - यह कृष्ण-गोदावरी और कावेरी नदियों के बेसिन तथा मुहाने के समुद्री क्षेत्र में फैला हुआ है। नारीमनम और कोविलत्पल कावेरी प्रदेश के मुख्य तेल क्षेत्र हैं। कुछ समय पूर्व गोदावरी कृष्णा क्षेत्र में भी तेल की खोज हुई है।

5. बांड़मेर बेसिन (राजस्थान) - इस बेसिन के मंगला तेल क्षेत्र से सितम्बर 2009 से उत्पादन शुरू हो गया है।




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