गुरुवार, 30 जुलाई 2020

पृथ्वी की गतियाँ (Motions of The Earth)

पृथ्वी में 2 गतियाँ पायी जाती है –(1). घूर्णन या दैनिक गति (Rotation) और (2). परिक्रमण या वार्षिक गति (Revolution)

(1). घूर्णन या दैनिक गति (Rotation) –
            पृथ्वी अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व दिशा में लट्टू की तरह लगभग 1,000 मील प्रति घंटा की गति से घुमती रहती है, इस गति को ही घूर्णन या दैनिक गति (Rotation) कहते है | इस गति के कारण ही दिन रात होते है | यह दैनिक गति है | पृथ्वी को एक पूर्ण घूर्णन करने में लगभग 24 घंटे (23 घंटे, 56 मिनट, 4.09 सेकेण्ड) लगाते है |
      पृथ्वी के घूर्णन गति के कारण ही  विषुवत रेखा पर अपकेन्द्रीय बल सर्वाधिक होता है और ध्रुवों पर कम | इसी बल के प्रभाव के फलस्वरूप विषुवत रेखा पर किसी पिंड का भार सबसे कम और ध्रुवों पर सर्वाधिक होता है |
       अगर पृथ्वी अपने अक्ष पर झुकी नही होती तो सर्वत्र दिन-रात बराबर होते |
पृथ्वी की घूर्णन गति भूमध्य रेखा पर अधिक (0.5 किमी. प्रति सेकेण्ड) और घ्रुवों पर कम होता है |

पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण उत्पन्न क्रियायें
(i). पवनों और समुंद्री धाराओं में विक्षेपण,
(ii). दैनिक ज्वार-भाटा की स्थिति में परिवर्तन,
(iii). घ्रुवों का चापटाकार स्वरूप,
(iv). भूमध्य रेखा का उभार (Bulge) और
(v). चुम्बकीय ध्रुवों को गतिमान होना |

नक्षत्र दिवस (Sideral Day) और सौर दिवस (Solar Day) में अंतर-
     एक मध्याह्न् रेखा के ऊपर किसी निश्चित नक्षत्र के लगातार दो बार गुजरने के बीच की अवधि को नक्षत्र दिवस (Sideral Day) कहते है | यह 23 घंटे, 56 मिनट, 4 सेकेण्ड का होता है |
 लेकिन जब किसी निश्चित मध्याह्न् रेखा के ऊपर से सूर्य के दो बार गुजरने की अवधि को सौर दिवस (Solar Day) कहते है | इसकी अवधि पुरे 24 घंटे की होती है | सौर दिवस, नक्षत्र दिवस से 3 मिनट 56 सेकेण्ड बड़ा होता है | इसका कारण यह है कि पृथ्वी अपने अक्ष पर जब एक चक्कर पूरा करती है तो वह अपने कक्ष पर पूर्व की स्थिति से एक अंश आगे निकल जाती है | पृथ्वी को उसी निश्चित मध्याह्न् रेखा को सूर्य के सम्मुख पुनः आने में कुछ अतिरिक्त समय लग जाता है |

(2). परिक्रमण या वार्षिक गति (Revolution)-
       पृथ्वी अपने अक्ष पर घूर्णन करने के साथ-साथ सूर्य की एक परिक्रमा भी अंडाकार मार्ग में पूरा कर लेता है इस गति को परिक्रमण या वार्षिक गति (Revolution) कहते है | यह 365 दिन और 6 घंटे का होता है | इस गति के कारण दिन – रात छोटे बड़े होते है और ऋतू परिवर्तन जैसी घटना घटित होती है |

उपसौरिक और अपसौरिक घटना (Perihelion and Aphelion phenumena)
उपसौरिक (Perihelion)-
          जब पृथ्वी अपनी कक्षा में परिभ्रमण करते हुए सूर्य से निकटतम दूरी (14.73 करोड़ किमी.) पर होती है तो यह घटना उपसौरिक (Perihelion) कहलाती है | यह घटना प्रति वर्ष 3 जनवरी को होती है | इस दिन उत्तरी गोलार्ध्द  में ठण्ड का महीना होने के कारण अति ऊष्मा का असर नही पड़ पता है जबकि दक्षिणी गोलार्ध्द  में गर्मी का दिन होने के कारण औसत से अधिक तापमान दर्ज की जाती है |

अपसौरिक (Aphelion)-
      जब पृथ्वी अपनी कक्षा में परिभ्रमण करते हुए सूर्य से अधिकतम दूरी (15.2 करोड़ किमी.) पर होती है तो यह घटना अपसौरिक (Aphelion) कहलाती है | यह घटना प्रति वर्ष 4 जुलाई को होती है | इस दिन उत्तरी गोलार्ध्द  में गर्मी का महीना होने के कारण अति ठण्ड का असर नही पड़ पता है जबकि दक्षिणी गोलार्ध्द  में सर्दी का दिन होने के कारण औसत से अधिक तापमान में गिरावट दर्ज की जाती है |

दिन रात का छोटा बड़ा होना –
             पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.5 डिग्री झुकी है इसलिय सदैव दिन रात बराबर नहीं होता है |
विषुवत रेखा पर सदैव दिन-रात बराबर होता है, क्योंकि इसे

विषुव (Equinox) -
     यह वह स्थिति है जब सूर्य पृथ्वी की भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर 90 डिग्री के कोण पर चमकता है तो पुरे धरती पर दिन रात रात 12-12 घंटे का होता है | यह स्थिति साल में दो बार आती है |

(i). वसंत विषुव (Vernal Equinox) –
            21 मार्च को पुरे धरती पर दिन रात बराबर होता है | उस समय उत्तरी गोलार्द्ध में वसंत का मौसम होता है इसलिए इसको

(ii). शरद विषुव (Autumnal Equinox) –
23 सितम्बर को भी दिन रात बराबर होता है| उस समय उत्तरी गोलार्द्ध पतझड़ का मौसम प्रारंभ हो जाता है इसलिए इसको

संक्रांति (Solstice) - 
      वह स्थिति जब सूर्य एकदम उतरायण या दक्षिणायन बिंदु पर होती है उस स्थिति को संक्रांति कहते है |

(i). ग्रीष्म संक्रांति (Summer Solistice)-
           यह स्थिति 21 जून के दिन बनती है इस दिन सूर्य कर्क रेखा (Tropic of Cancer) के ठीक ऊपर एकदम 90 डिग्री के  कोण पर चमकती है | इस दिन उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे बड़ा दिन और सबसे छोटी रात होती है वही दक्षिणी गोलार्द्ध में सबसे बड़ी रात और सबसे छोटी दिन होती है |

(ii). शीत संक्रांति (Winter Solistice)-
          यह स्थिति 22 दिसंबर के दिन बनती है इस दिन सूर्य मकर रेखा (Tropic of Capricorn) के ठीक ऊपर एकदम 90 डिग्री के  कोण पर चमकती है | इस दिन उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे छोटा दिन और सबसे बड़ी रात होती है वही दक्षिणी गोलार्द्ध में सबसे छोटी रात और सबसे बड़ा दिन होता है |

घ्रुवों पर 6 महीनों का दिन और रात-
      उत्तरी घ्रुव पर 6 महीने का दिन है |

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