ग्रहण वह प्राकृतिक घटना है जिसमे चंद्रमा की विशेष भूमिका होती है | सूर्य ग्रहण और चंद्रग्रहण दोनों ही घटनाये चन्द्रमा के गतिशील होने के कारण ही घटित होता है |
(i). सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse)-
जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चन्द्रमा आ जाये और चन्द्रमा सूर्य को पूरी तरह या आंशिक रूप से ढक लेता हैं तो पृथ्वी के कुछ हिस्सों से सूर्य कटा हुआ दिखाई देता हैं | इस घटना को ही सूर्य ग्रहण कहते है | जब चन्द्रमा सूर्य को पूरी तरह ढक लेता हैं तो सूर्य का मात्र बाहरी सतह एक अंगूठी की तरह दिखाई देता हैं जिसे Diamond Ring कहते है | यह आकाशीय घटना सिर्फ अमावस्या (New Moon) के दिन घटित होती है |
(ii). चंद्रग्रहण (Lunar Eclipse)-
जब सूर्य और चन्द्रमा के मध्य पृथ्वी आ जाये और पृथ्वी की छाया चन्द्रमा पर पड़ता है तो इसे चंद्रग्रहण कहा जाता है | चंद्रग्रहण सिर्फ पूर्णिमा की रात घटित होता है |
प्रत्येक पूर्णिमा एवं अमावस्या को चंद्रग्रहण एवं सूर्यग्रहण नहीं होता है क्योंकि पृथ्वी एवं चन्द्रमा के कक्ष तलों में 5° का परस्पर झुकाव पाया जाता है | इस 5° चन्द्रमा, पृथ्वी और सूर्य एक कक्ष की सीध में आ पाते है |
एक कैलेंडर वर्ष में अधिकतम 7 ग्रहण (सूर्य ग्रहण और चंद्रग्रहण मिलाकर) हो सकते है जिसमे सूर्य ग्रहण की घटना वर्ष में कम से कम 2 बार और अधिकतम 5 बार हो सकती है |
रक्त चन्द्रमा (Blood Moon) –
पूर्ण चंद्रग्रहण के समय जब पृथ्वी की छाया चन्द्रमा पर पड़ती है तो चन्द्रमा का रंग लाल हो जाता है | इस स्थिति को ही Blood Moon कहा जाता है |
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