Intermediate Arts Geography 2010 subjective Questions
खण्ड-'ब' (लघु उत्तरीय प्रश्न)
1.जनसंख्या परिवर्तन
के तीन निर्धारक घटक कौन-से हैं
उत्तर - जनसंख्या परिवर्तन
के तीन घटक है जन्म-दर, मृत्यु
दर और प्रवास |
एक वर्ष में प्रति हजार व्यक्ति पर जन्म और मृत्यु की संख्या को क्रमश: अशोधित
जन्म-दर और अशोधित मृत्यु दर कहते हैं।
जन्म और मृत्यु की संख्या में अन्तर द्वारा होने वाले परिवर्तनको प्रकृति वृद्धि
या ह्रास कहते हैं। तीसरा घटक प्रवास है, जिसमें
आप्रवास, अन्त: प्रवास और उत्प्रवास, बाह्य प्रवास शामिल हैं। आप्रवास अन्त:
प्रवास से जनसंख्या बढ़ती है और उत्प्रवास | बाह्य प्रवास जनसंख्या कम होती है।
आप्रवास और उत्प्रवास शब्द का प्रयोग अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास लिए होता है और अन्त:
प्रवास और बाह्य प्रवास का अन्तर्दशीय प्रवास के लिए | जन्म-दर, मृत्युदर और प्रवास
तीनों के फलस्वरूप जनसंख्या में होने वाले परिवर्तन का वास्तविक परिवर्तन कहते है
2 कुटीर उद्योग एवं लघु उद्योग में अन्तर स्पष्ट
कीजिए ।
उत्तर – कुटीर उद्योग
एवं लघु उद्योग में निम्नलिखित अंतर हैं -
कुटीर उद्योग - |
लघु उद्योग - |
(i) कुटीर उद्योग मुख्यतः परिवार के सदस्यों के
सहयोग से चलाये जाते हैं। |
(i) लघु उद्योगों में सामान्यतः श्रमिक का कार्य
करते हैं। |
(ii) कुटीर उद्योगों में मानव के हाथों का प्रयोग
होता है। |
(ii) लघु उद्योगों में उत्पादन मशीनों द्वारा होता
है। |
(iii) कुटीर उद्योगों में स्थानीय माँग की पूर्ति की
दृष्टि से परम्परागत वस्तुओं का उत्पाद होता है। |
(iii) लघु उद्योगों में वस्तुओं का उत्पादन एक बड़े
क्षेत्र की माँग को पूरा करता है। |
(iv) कुटीर उद्योगों में कच्चे माल की आपूर्ति
सामान्यतः स्थानीय स्तर पर की जाती है। |
(iv) लघु उद्योगों में कच्चे माल की आपूर्ति बाहर से
आयातित माल द्वारा होती है। |
(v) कुटीर उद्योगों में तैयार माल के लिए बाजार
स्थानीय होता है। |
(v) लघु उद्योगों में निर्मित माल का बाजार विस्तृत
होता है अर्थात् वह दूरस्थ बाजारों में भेजा जाता है। |
3. व्यापार सन्तुलन से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर - व्यापार
सन्तुलन में प्रत्येक देश कम या अधिक मात्रा में वस्तुओं का आयात - निर्यात करता
है। वस्तुओं के आयात-निर्यात का अन्तर व्यापार सन्तुलन कहलाता है। यदि किसी देश
में निर्यात की जाने वाली वस्तुओं का मूल्य आयात की जाने वाली वस्तुओं के मूल्य से
अधिक है तो वह अनुकूल व्यापार या सन्तुलन धनात्मक कहलाता है। जबकि
निर्यात की जाने वाली वस्तुओं की कीमत आयात की जाने वाली वस्तुओं के मूल्य से कम
है तो प्रतिकूल व्यापार सन्तुलन या विलोम व्यापार सन्तुलन कहलाता
है।
4. नगरीय बस्तियाँ किन रूपों में मिलती हैं ?
उत्तर - नगरीय
बस्तियाँ ग्रामीण बस्तियों से अपने कार्यों एवं स्वरूपों दोनों में ही भिन्न होती
है। ग्रामीण बस्तियों का मुख्य आधार कृषि होता है, जबकि
नगरीय बस्तियों का आधार व्यवसाय, संचार तथा विभिन्न प्रकार की सेवाएं प्रदान करना
होता हैं |
प्राचीन नगर, प्रशासन, व्यापार, उद्योग,
सुरक्षा एवं धार्मिक महत्त्व के केंद्र हुआ करते थे | वर्तमान समय में सुरक्षा तथा
धर्म का कार्यात्मक महत्त्व घटा हैं लेकिन यह अन्य कार्य में सलंग्न हुआ है जैसे –
मनोरंजनात्मक, यातायात, खनन, निर्माण, आवासीय तथा सुचना प्रौद्योगिकी आदि |
5. अन्तरर्राष्ट्रीय एवं अन्तरराज्यीय प्रवास में
अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - अन्तरराज्यीय प्रवास का अर्थ जब कोई व्यक्ति किसी राज्य से दूसरे राज्य की ओर निवास के लिए पलायन करता है तो इसे अन्तरराज्यीय प्रवास कहते हैं। इसके लिए किसी प्रकार की सरकारी आदेश की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती है। जबकि अन्तरर्राष्ट्रीय प्रवास में जब कोई व्यक्ति एक देश से किसी दूसरे देश में निवास के लिए पलायन करता है तो अन्तरर्राष्ट्रीय प्रवास कहलाता हैं | इसके लिए उसे सरकारी नियमों व सविधान का पालन करना पड़ता हैं |
6. भारत में ग्रामीण बस्तियों के प्रकार को निर्धारित करने वाले कारकों को लिखिए।
उत्तर – ग्रामीण बस्तियाँ वे होती हैं जिनके अधिकांश लोग प्राथमिक
कार्य जैसे - कृषि, लकड़ी काटना, पशुचारक, खान खोदना, शिकार करना आदि में
संलग्न होते हैं।
ग्रामीण बस्तियों के
चार प्रकार पायें जाते हैं - (1) सघन बस्तियाँ (संहत
बस्ती) (2) प्रकीर्ण वस्तियाँ (3) एकाकी बस्तियाँ (4) आखण्डित बस्तियाँ | इन
बस्तियों के निर्धारण में कई कारक भूमिका निभाती हैं जैसे –
(i) पीने एवं कृषि
कार्य हेतू जल की सुविधा,
(ii) उपजाऊ मिट्टी
युक्त भूमि,
(iii) नदी बेसिनों
में उच्च भूमि,
(iv) गृह निर्माण की
सामग्री,
(v) सुरक्षा,
(vi) अनुकूल जलवायु आदि |
7. पश्चिम बंगाल में जूट की कृषि का वर्णन कीजिए।
उत्तर - भारत में कुल जूट उत्पादन का 50 प्रतिशत पश्चिम बंगाल राज्य में उत्पन्न किया जाता हैं | दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, बर्द्धमान, हुगली, हावड़ा, मेदिनीपुर, मुर्शिदाबाद, चौबीस परगना प्रदेश के प्रमुख जूट , उत्पादक जिले हैं। इन जिलों की 85 प्रतिशत भूमि पर जूट बोया जाता हैं |
8. उपग्रह संचार क्या है? उपग्रह संचार के तीन लाभ बताइए।
उत्तर - पृथ्वी
के चारों तरफ कक्षा में स्थित किसी उपग्रह की सहायता से एक जगह से दूसरी
जगह तक सूचना को पहुँचाना उपग्रह संचार कहलाता है। इस उपग्रह संचार व्यवस्था में
एक सूक्ष्म मोडुलित तरंगों को उपग्रह की तरफ भेजा जाता है और यह उपग्रह इन तरंगों
को ग्राही की तरफ मोड़ देता है और ये तरंगे ग्राही के पास
पहुँच जाती है |
उपग्रह संचार के तीन
लाभ -
(i) उपग्रह की
सहायता से हम दुनिया के किसी भी कोने में हो रहे मैच का लाइव टेलीकास्ट देख सकते
हैं।
(ii) संचार उपग्रह की सहयता से अपने फोन से किसी से भी
दुनिया के किसी कोने में स्थित व्यक्ति से बात कर एक देख सकते हैं |
(iii) उपग्रह संचार के माध्यम से अब फोटो डाक्यूमेंट्स आदि भेजना आसान हो गया हैं |
खण्ड-'स' (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)
9. दक्षिण-पश्चिमी एशिया में पेट्रोलियम के वितरण एवं उत्पादन का वर्णन कीजिए।
उत्तर - विश्व
के आधा से अधिक खनिज तेल का उत्पादन एशिया के दक्षिण-पश्चिम भाग से प्राप्त होता
है। इस क्षेत्र में इराक, ईरान, कुवैत, बहरीन, सऊदी
अरब प्रमुख तेल उत्पादक देश हैं।
(i) इराक –
यहाँ विश्व का सबसे बड़ा तेल क्षेत्र (112 किमी.
की लम्बाई में) किरकुक से उत्तर में बाबागुरगुर तक फैला है। इस देश में तेल 1,000 किमी. लम्बी तेल पाइप लाइन के द्वारा टकी होकर भूमध्य
सागर के तटवर्ती भागों में भेजा जाता है।
(ii) ईरान –इस
देश के प्रमुख तेल क्षेत्र दक्षिण-पश्चिम में स्थित है जहाँ मस्जिदें, सुलेमान (28 वर्ग
किमी.) तथा दूसरा क्षेत्र 64 किमी. दक्षिण में 88 वर्ग
किलोमीटर में फैला है। ईरान के अन्य तेल उत्पादक केन्द्र गचसारन, करमनशाह, आगाजमी, नफ्थसफेद और लाली है।
(iii) सऊदी अरब-यह देश इस क्षेत्र में खनिज तेल का सबसे बड़ा उत्पादन
हैं | इसके प्रमुख तेल उत्पादन केन्द्र दम्माम, कातिफ, अबाक्वेक, बुक्का
मुख्य है।
(iv) कुवैत– इस
देश में बुर्गन की पहाड़ियों से खनिज तेल निकाला जाता हैं |
(v) कतार–इस
देश के दुरबान क्षेत्र से तेल निकाला जाता है। पाइप लाइन द्वारा तेल उम्मसईद के शोध संस्थान को भेजा जाता है।
(vi) बहरीन—फारस
की खाड़ी में स्थित बहरीन द्वीप में खनिज तेल निकाला जाता है।
(vii) संयुक्त अरब अमीरात, आबुधाबी, दुबई, शाहजाह में तेल मिलता है।
पाकिस्तान–पंजाब के खौर तथा धुलियन क्षेत्रों से तेल
प्राप्त होता है। रावलपिण्डी से 65- किलोमीटर दक्षिण में जोयामेल में भी तेल निकाला
जाता हैं ।
भारत-भारत में गुजरात तथा असोम राज्य प्रमुख तेल
उत्पादक राज्य है। मुम्बई के निकट मुंबई हाई से भी तेल प्राप्त किया जाता है। अभी
हाल में आंध्र के गोदावरी डेल्टा में तेल प्राप्त हुआ । यहाँ 2003-04 में देश में 331 लाख
टन तेल का उत्पादन हुआ।
म्यांमार - विश्व के उत्पादन का 1 प्रतिशत खनिज तेल म्यांमार से प्राप्त होता है।
इरावदी घाटी में तेल कूप खोदे गये हैं।
इण्डोनेशिया - सुमात्रा, कालीमण्टन, जावा आदि द्वीपों से तेल प्राप्त होता है।
अथवा,
चतुर्थक
क्रियाकलापों का विवरण दें।
उत्तर - चतुर्थक
क्रियाकलाप (Quarternary
Activities) - वर्त्तमान युग में
मानव के आर्थिक क्रियाकलाप दिनोंदिन बहुत ही विशिष्ट एवं जटिल होते जा रहे हैं
जिनमें क्रियाकलापों का एक नवीन रूप चतुर्थक क्रियाकलापों के रूप में सामने आया
है। इस क्रियाकलाप में सूचना का संग्रह, उत्पादन और प्रकीर्णन
सम्मिलित हैं | यह क्रियाकलाप मुख्यतः अनुसंधान और विकास पर केन्द्रित हैं
और खास प्रकार के ज्ञान, प्रौद्योगिक कुशलता और प्रशासकीय सामर्थ्य से सम्बंधित
सेवाओं के उन्नत नमूने के रूप में देखे जाते हैं |
वर्तमान में विश्व के लगभग सभी देशों में और
विशेषकर विकसित देशों में चतुर्थक क्रियाकलापों में लगे लोगों की संख्या में
निरन्तर वृद्धि होती जा रही है। इस व्यवसाय में कार्यालय भवनों के कर्मचारी,
प्रारम्भिक विधालयों के प्राचार्य से लेकर विश्वविधालायी कक्षाओं के प्रोफेसर,
अस्पतालयों व डॉक्टरों के कार्यालयों के कर्मचारी, रंगमंचों, लेखाकार्य और दलाली
की फार्मों में कार्य करने वाले कर्मचारी आदि इस वर्ग में आते हैं | इस व्यवसाय के
लोगों का वेतनमान उच्च होता हैं और पदोन्नति की चाह में गतिशीलता अधिक देखने को
मिलती है।
कम्प्यूटर के बढ़ते प्रयोग तथा सूचना
प्रौद्योगिकी ने इस व्यवसाय के महत्त्व को और बढ़ा दिया है। इंटरनेट के इस्तेमाल
से इसका और अधिक विस्तृत हो गया है। अब लोग अपने कार्यालय या घर में बैठे-बैठे ही
दूसरे लोगों से प्रत्यक्ष सम्पर्क करके अपना व्यापार चलाते हैं। पैसों की लेनदेन
भी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से होने लगा हैं |
10. पाइपलाइन परिवहन
की उपयोगिता पर उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर – पाइप लाइनें परिवहन
का नवीनतम साधन है। जल, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस जैसे तरल एवं गैसीय
पदार्थों के बिना बाधा के प्रवाह और परिवहन के लिए पाइपलाइनों का व्यापक रूप से
प्रयोग किया जाता है। जिस प्रकार पाइपलाइनों द्वारा जल की आपूर्ति की जाती हैं। उसी
प्रकार विश्व के अनेक भागों में रसोई गैस अथवा एल.पी.जी. की आपूर्ति पाइपलाइनों
द्वारा की जाती है। पाइपलाइनों का प्रयोग तरलीकृत कोयले के परिवहन के लिए भी किया
जाता है। न्यूज़ीलैंड में तो फार्मों से फैक्ट्रियों तक दूध को पाइपलाइनों द्वारा
भेजा जाता है।
यद्यपि इन पाइप
लाइनों का निर्माण बहुत महंगा है परन्तु बाद में इन पाइप लाइनों की सहायता से तेल
को बन्दरगाहों तक ले जाना सस्ता पड़ता है।
संयुक्त राज्य
अमेरिका में उत्पादक क्षेत्रों और उपभोग क्षेत्रों के बीच तेल पाइपलाईनों का सघन
जाल पाया जाता है। 'बिग इंच' यहाँ की एक प्रसिद्ध पाइपलाईन है जो मैक्सिको की
खाड़ी में स्थित तेल के कुओं से उत्तर-पूर्वी राज्यों में तेल ले जाती है। संयुक्त
राज्य अमेरिका में पेट्रोलियम और गैस का 17 प्रतिशत भाग परिवहन पाइपलाइनों द्वारा होता
है।
यूरोप, रूस, पश्चिम एशिया और भारत में पाइपलाइनों का प्रयोग तेल के कुओं को तेल परिष्करणशालाओं और पत्तनों अथवा घरेलू बाजारों से जोड़ने के लिए किया जाता है। मध्य एशिया में स्थित तुर्कमेनिस्तान से पाइपलाईन को ईरान और चीन के कुछ भागों तक बढ़ा दिया गया है।
प्रस्तावित
ईरान-भारत वाया पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय तेल और प्राकृतिक गैस पाइपलाईन विश्व में
सर्वाधिक लंबी होगी।
भारत में असम तेल
क्षेत्र (नूनामती) से बरौनी तक, नहारकटिया से नूनमती
तक, गुवाहाटी से सिलीगुड़ी तक, बरौनी से कानपुर तक इत्यादि पाइप लाइनों का निर्माण किया गया
हैं | गुजरात में हजीरा
से उत्तर प्रदेश के जगदीशपुर तक 1730 कि.मी लम्बा हजीरा -विजयपुर-जगदीशपुर
पाइप लाइन बिछायी गयी है इसे HVJ पाइप लाइन भी कहा जाता है।
अथवा,
पनामा नहर पर टिप्पणी
लिखिए।
उत्तर – पनामा नहर उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका
महादेश के मध्य में स्थित पनामा देश में हैं | यह नहर पूर्व में अटलांटिक महासागर
को पश्चिम में प्रशांत महासागर से जोड़ती हैं | इसका निर्माण 1904 से 1914 के
मध्य पनामा स्थलडमरूमध्य (स्थल संधि)को काट के किया गया | जिससे अटलांटिक तट पर
स्थित कोलोन शहर और प्रशांत तट पर स्थित पनामा शहर नहर के माध्यम से जुड़ गए | इस
नहर का निर्माण संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा करवाया गया | अमेरिका ने दोनों तरफ
के 8 किमी. की भूमि खरीद के इसको नहर मंडल का नाम दिया | यह नहर 82 किमी. लम्बी, 12 मीटर
गहरी और लगभग 90 मीटर चौड़ी है। इसको पार करने में 24 घण्टे लगते हैं । प्रतिदिन लगभग 50 जहाज इस नहर में होकर निकलते हैं। इस नहर के
बनाने में गेलार्ड पहाड़ी को काटा गया था। इस कारण इसका तल सर्वत्र एक समान
नहीं है और झालों (Locks)
का प्रयोग करना
पड़ता है। इसमें तीन झील हैं—गातुन, टैटोमिग्वल और मिराफ्लोर्स। इस नहर में कुल 6
जलबंधक तंत्र हैं तथा जलयान पनामा खाड़ी में प्रवेश करने से पहले इन जलबंधकों (Locks)
से होकर विभिन्न ऊँचाई की समुंद्री सतह (26 मीटर ऊपर एवं नीचे) से गुजरती हैं | चार्जेस
नदीं के जल से विद्युत शक्ति बनाकर जहाजों को नहर से खींचने का काम लिया जाता है
इस नहर के बन जाने
से सबसे अधिक लाभ संयुक्त राज्य का को हुआ है। इसके पश्चिमी और पूर्वी तटों के बीच
दूरी कम काफी कम हो गई । इसके द्वारा सेनफ्रांसिस्को से न्यूयार्क जाने से 13,000 किमी. की दूरी कम हो
गई | इसीप्रकार पश्चिमी यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका के पश्चिमी तट की भी दूरी
कम हो गई आदि |
11. भारतीय कृषि की समस्याएँ व समाधान लिखिए।
उत्तर - भारतीय कृषि कई समस्याओं से गुजर रही हैं जिसके कारण
निम्न उत्पादकता बनी हुई है | ये समस्याएं निम्नलिखित हैं -
(i)
जनसंख्या का कृषि
भूमि पर निरंतर बढ़ता दबाव
(ii)
घटता कृषि भूमि
क्षेत्र
(iii)
खेतों का छोटा आकार
(iv)
भू स्वामित्व
प्रणाली
(v)
सिंचाई की कम और
अनिश्चित सुविधाएँ
(vi)
मानसूनी वर्षा की अनिश्चितता
(vii)
कृषि योग्य भूमि का
निम्नीकरण
(vill)
कम पूँजी निवेश
(ix)
आधुनिक कृषि तकनीक (HYV seed कीटनाशक, रासायनिक खाद आधुनिक यंत्र) का सीमित उपयोग
(x)
कृषि शोध एवम्
प्रचार एवम् प्रसार तंत्रों का अच्छी स्थिति में नहीं होना
(xi)
कृषि उत्पादों का उचित
मूल्य न मिलना
(xii)
सालों भर काम का
अभाव ।
(xiii)
कृषि में
वाणिज्यीकरण का अभाव
भारतीय कृषि की
समस्याएँ का समाधान – इसके निम्नलिखित समाधान हो सकते हैं जैसे –
(i)
सिंचाई की व्यवस्था
ताकि सूखे के दौरान भी कृषि कार्य किया जा सके |
(ii)
कृषि योग्य भूमि के
निम्नीकरण की समस्या का निवारण करना |
(iii)
उन्नत कृषि का विकास
करना जैसे - HYV
seed कीटनाशक,
रासायनिक खाद,
आधुनिक यंत्र आदि का उपयोग करना |
(iv)
फसल बीमा का
व्यवस्था होना |
(v)
सस्ते दर पर बैंक से
किसानों को कृषि लोन की व्यवस्था करना |
(vi)
सालों भर काम का
अभाव ।
(vii)
कृषि में
वाणिज्यीकरण करना |
अथवा,
स्वर्णिमचतुर्भुज
परम राजमार्ग पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर –
भारतीय राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने
देश-भर में विभिन्न चरणों में कई प्रमुख परियोजनाओं की जिम्मेदारी ले रखी है। इसी
के तहत स्वर्णिम चतुर्भुज (Golden
Quadrilateral) परियोजना और उत्तर-दक्षिण तथा पूर्व-पश्चिम गलियारा (North South Corridor) का विकास
किया गया |
(i) स्वर्णिम चतुर्भुज (Golden Quadrilateral) परियोजना : इसके अंतर्गत
5,846 कि.मी. लंबी 4 या 6 लेन वाले उच्च सघनता के यातायात गलियारे शामिल हैं जो
देश के चार विशाल महानगरों- दिल्ली मुंबई-चेन्नई-कोलकाता को जोड़ते हैं। स्वर्णिम
चतुर्भुज के निर्माण के साथ भारत के इन महानगरों के बीच समय-दूरी तथा यातायात की
लागत महत्वपूर्ण रूप से कम होगी।
(ii) उत्तर-दक्षिण तथा पूर्व-पश्चिम गलियारा (North South Corridor) : उत्तर-दक्षिण गलियारे का उद्देश्य जम्मू व
कश्मीर के श्रीनगर से तमिलनाडु के कन्याकुमारी (कोच्चि-सेलम पर्वत स्कंध सहित) को
4,016 कि.मी.
लंबे मार्ग द्वारा जोड़ना है। पूर्व एवं पश्चिम गलियारे का उद्देश्य असम में सिलचर
से गुजरात में पोरबंदर को 3,640 कि.मी.
लंबे मार्ग द्वारा जोड़ना है।
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