मंगलवार, 4 जनवरी 2022

2011 (Arts) भूगोल गैर-वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Subjective Questions)

 भाग- II: (गैर-वस्तुनिष्ठ प्रश्न)

खण्ड –ब लघु प्रश्न एवं उत्तर

1. मानव भूगोल के कुछ उपक्षेत्रों के नाम लिखें।

उत्तर - मानव भूगोल के उपक्षेत्र हैं :
1.
व्यवहारवादी भूगोल,

2. सामाजिक कल्याण का भूगोल,
3.
सांस्कृतिक भूगोल,

4. ऐतिहासिक भूगोल,

5. संसाधन भूगोल,

6. कृषि भूगोल,
7.
उद्योग भूगोल,

8. ग्रामीण भूगोल,

9. नगरीय भूगोल

10. पर्यटन भूगोल आदि |


2. जनसंख्या संघटन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर - जनसंख्या संघटन या जनांकिकी संरचना जनसंख्या की उन विशेषताओं को कहा जाता हैं, जिनकी माप की जा सके तथा जिनकी मदद से दो भिन्न प्रकार के व्यक्तियों के समूहों में अंतर स्पष्ट किया जा सके। आयु, लिंग, साक्षरता,  व्यवसाय, जीवन-प्रत्याशा, निवास-स्थान (ग्रामीण, नगरीय) इत्यादि ऐसे महत्त्वपूर्ण घटक है, जो जनसंख्या के संघटन को प्रदर्शित करते हैं। किसी देश भावी विकास की योजनाओं को बनाने में जनसंख्या संघटन का महत्त्वपूर्ण योगदान है |

 

3. विकास के चार प्रमुख घटक क्या हैं ?

उत्तर - मानव विकास के चार प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं -
(1)
आय उपागम

(ii) कल्याण उपागम

(iii) न्यूनतम (आधारभूत) आवश्यकता उपागम

(iv) क्षमता उपागम |

 

4. स्वेज नहर के महत्व का वर्णन करें ।
उत्तर –

(i) स्वेज नहर मार्ग भूमध्य सागर तथा लाल सागर से जोड़ता है। यह मार्ग पुरानी दुनिया के मध्य से होकर जाता है। अतः इसका विश्व के अधिकतर भागों में संपर्क है। इससे विश्व का लगभग 15% व्यापार होता है।

(ii) यह नहर यूरोप के औद्योगिक तथा एशिया के विकासशील देशों के मध्य संपर्क स्थापित करती है।
(
iii) इस नहर के निर्माण से पहले यूरोप से एशिया आने वाले जहाजों को दक्षिणी केप ऑफ़ गुड होप से होकर गुजरना पड़ता था परंतु इस मार्ग के बन जाने पर उत्तर-पश्चिमी यूरोप और एशिया के बीच की दूरी 8000 मी. कम हो जाती है।

(iv) इस नहर का सबसे अधिक लाभ ग्रेट ब्रिटेन को हुआ है क्योंकि इसके निर्माण में ग्रेट ब्रिटेन का संबंध भारत, पाकिस्तान, बंग्लादेश, श्रीलंका, मलेशिया, इंडोनेशिया, आस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैंड आदि से सुविधाजनक हो गया है ।



5. जल परिवहन के क्या लाभ हैं ?

उत्तर - जल परिवहन दुनिया का सबसे सस्ता परिवहन मार्ग हैं साथ ही उसमें मार्गों का निर्माण नहीं करना पड़ता । महासागर एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं। उनमें विभिन्न प्रकार के जहाज चल सकते हैं | यह परिवहन बहुत सस्ता है क्योंकि जल का घर्षण स्थल की अपेक्षा बहुत कम होता है। जल परिवहन की ऊर्जा लागत की अपेक्षाकृत कम होती है। जल परिवहन को महासागरीय मागों और आंतरिक जल मार्गों में विभक्त किया जाता है ।

 


6.तृतीय क्रियाकलापों का वर्णन करें ।

उत्तर - तृतीय क्रियाकलापों में उत्पादन और विनिमय दोनों सम्मिलित होते हैं। उत्पादन में सेवाओं की उपलब्धता शामिल होती है, जिनका उपभोग किया जाता है। उत्पादन का परोक्षरूप से पारिश्रमिक और वेतन के रूप में मापा जाता है। विनिमय के अन्तर्गत व्यापार, परिवहन और संचार सुविधाएँ सम्मिलित होती है। इसमें  बिजली मिस्त्री, डाक्टर, इंजीनियर, अध्यापक, धोबी, नाई, दुकानदार, बैंक आदि की सेवाएँ शामिल किये जाते हैं।

 


7. भारतीय कृषि को प्रमुख समस्याओं का उल्लेख करें ।
उत्तर - भारतीय कृषि की प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं -
(i) जनसंख्या का कृषि भूमि पर निरंतर बढ़ता दबाव

(ii) घटता कृषि भूमि क्षेत्र

(iii) खेतों का छोटा आकार

(iv) भू स्वामित्व प्रणाली

(v) सिंचाई की कम और अनिश्चित सुविधाएँ

(vi) मानसूनी वर्षा की अनिश्चितता

(vii) कृषि योग्य भूमि का निम्नीकरण

(viii) कम पूँजी निवेश 

(ix) आधुनिक कृषि तकनीक (HYV seed कीटनाशक, रासायनिक खाद आधुनिक यंत्र) का सीमित उपयोग

(x) कृषि शोध एवम् प्रचार एवम् प्रसार तंत्रों का अच्छी स्थिति में नहीं होना

(xi) कृषि उत्पादों का उचित मूल्य न मिलना

(xii) सालों भर काम का अभाव ।

(xiii) कृषि में वाणिज्यीकरण का अभाव

 

8. भारत में पवन ऊर्जा की संभावनाओं को लिखें ।

उत्तर - पवन ऊर्जा पूर्णरूपेण प्रदूषण मुक्त और ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत है। पवन की गतिज ऊर्जा को टरबाइन के माध्यम से विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है। भारत में पवन ऊर्जा उत्पादन की संभावित क्षमता 50,000 मेगावाट की है जिसमें से एक चौथाई ऊर्जा को आसानी से काम में लाया जा सकता है। पवन ऊर्जा के लिए राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र तथा कर्नाटक में अनुकूल परिस्थितियाँ विद्यमान हैं। गुजरात के कच्छ में लाम्बा का पवन ऊर्जा संयंत्र एशिया का सबसे बड़ा संयंत्र है। पवन ऊर्जा एक और अन्य संयंत्र तमिलनाडु के तुतीकोरीन में स्थित है।


 

9. वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों का उल्लेख करें ।

उत्तर - वायु प्रदूषण को धूल, धुआँ, गैसें, कुहासा, दुर्गंध और वाष्प जैसे संदूषकों की वायु में उपस्थिति को इंगित करता है जो मनुष्यों एवं  जंतुओं के लिए हानिकारक होता है। ऊर्जा के स्रोत के रूप में विभिन्न प्रकार के इंधनों के प्रयोग में वृद्धि के साथ पर्यावरण में विसाक्त धुएँ वाली गैसों के उत्सर्जन के परिणामस्वरूप वायु प्रदूषित होती है | जीवाश्म ईंधन का दहन, खनन और उद्योग वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं। ये प्रक्रियाएं वायु में सल्फर एवं नाइट्रोजन के ऑक्साइड, हाईड्रोकार्बन, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोक्साइड, सीसा को मुक्त करते हैं।

 

10. ग्रामीण एवं नगरीय बस्ती में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर -

ग्रामीण बस्ती- ग्रामीण बस्ती से तात्पर्य उस बस्ती से है जिसके निवासी अपने जीवनयापन के लिए प्राय: भूमि के विदोहन पर निर्भर होते हैं अर्थात् इनके निवासियों का मुख्य कार्य - कृषि करना, आखेट, पशुपालन, मछलिया पकड़ना, लकड़ियाँ काटना, कुटीर उद्यम आदि है। मकाने प्रायः मिट्टी या पुआल के बने होते हैं |

नगरीय बस्ती- इन बस्तियों की विशेषता यह है कि इनमें गैर-कृषि कार्य अधिक किये जाते हैं | मकाने पक्की होती एवं बहुमंजिले होती हैं | यहाँ अनेक प्रकार की दुकानों के साथ-साथ बैंक, बीमा कम्पनियाँ, मनोरंजन गृह, अस्पताल, महाविद्यालय, पुलिस थाना, कार्यालय आदि भी पाये जाते है। इन बस्तियों में मकानों का सकेन्द्रण अधिक पाया जाता हैं |

 


11. भारत द्वारा आयात किए जाने वाले प्रमुख सामानों का उल्लेख करें ।
उत्तर - भारत ने 1950 एवं 1960 के दशक में खाधानों की गंभीर कमी का अनुभव किया । इस समय आयात की प्रमुख वस्तुएँ खाधान, पूँजीगत माल, मशिनरी एवं उपस्कर आदि थे। 1970 के दशक के बाद हरित क्रांति की सफलता के बाद खाधानों का आयात रोक दिया गया। खाधानों की आयात की जगह उर्वरकों एवं पेट्रोलियम ने ले ली। मशीन एवं उपस्कर, विशेष स्टॉल, खाद्य तेल तथा रसायन मुख्य रूप से आयात व्यापार की रचना करते । भारत के आयात अन्य प्रमुख वस्तुओं में मोती तथा उपरत्नों स्वर्ण एवं चाँदी, धातुमय अयस्क, तथा धातु छीजन, अलौह धातुएँ तथा इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ आदि आते हैं ।
12.
अपनी उत्तर पुस्तिका में भारत का मानचित्र बनाकर निम्नलिखित को दर्शाइए :
(
क) खम्भात की खाड़ी         (ख) सिक्किम ।


खण्ड (स) 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

13. ऊर्जा के अपारम्परिक स्रोत कौन से हैं ? भारत में इसकी संभावनाओं को चर्चा करें।

उत्तर - ऊर्जा के अपारम्परिक स्रोत के अंतर्गत सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय तथा तरंग उर्जा, भूतापीय ऊर्जा एवं जैव ऊर्जा को सम्मिलित करते हैं। भारत के संदर्भ में इसका विवरण निम्न है –

(i) सौर ऊर्जा - ऊर्जा का वैसा रूप जिसे सौर प्लेटों के सहारे सूर्य की किरणों से प्राप्त किया जाता है, सौर ऊर्जा कहलाता है, इस प्रकार की ऊर्जा कोयला एवं तेल आधारित संयंत्रों की अपेक्षा 7% अधिक तथा नाभिकीय ऊर्जा 10% अधिक प्रभावी है। भारत के पश्चिमी भाग गुजरातराजस्थान में सौर विकास की संभावनाएँ अधिक हैं।

(ii) पवन ऊर्जा - पवन ऊर्जा पूर्ण रूप प्रदूषण मुक्त ऊर्जा है। इसमें पवन की गतिज ऊर्जा को टरबाइन के माध्यम से विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। पवन ऊर्जा के लिए राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र तथा कर्नाटक में अनुकूल परिस्थितियाँ विद्यमान हैं। गुजरात के कच्छ में लाम्बा का पवन ऊर्जा संयंत्र एशिया का सबसे बड़ा संयंत्र है। पवन ऊर्जा एक और अन्य संयंत्र तमिलनाडु के तुतीकोरीन में स्थित है।

(iii) ज्वारीय तथा तरंग ऊर्जा (Tidal and Wave Energy) - समुद्रि ज्वार तथा तरंग में जल गतिशील रहता है। अतः इसमें अपार ऊर्जा रहती है। खम्भात की खाड़ी (7,000 मेगावाट) सबसे अनुकूल है इसके अलावे कच्छ की खाड़ी (1000 मेगावाट) तथा सुन्दर वन (100 मेगावाट) का स्थान है।

(iv) भूतापीय ऊर्जा (Geothermal Energy) : यह ऊर्जा पृथ्वी के उच्च ताप से प्राप्त किया जाता है। जब भूगर्भ से मैग्मा निकलता है तो अपार ऊर्जा मुक्त होता है। गीजर कूपों से निकलने वाले गर्म जल तथा गर्म झरनों से भी शक्ति प्राप्त किया जा सकता है। हिमाचल प्रदेश के मनीकरण में भूतापीय संयंत्र स्थापित है तथा दूसरा लद्दाख के दुर्गाघाटी में स्थित है।

(v) बायो गैस एवं जैव ऊर्जा (Bio gas and bio energy) - ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि अपशिष्ट, पशुओं और मानव अपशिष्ट के उपयोग से घरेलू उपयोग हेतु बायो गैस उत्पन्न की जाती है। वस्तुतः जैविक पदार्थों के अपघटन से गैस उत्पन्न होती है।



अथवा,

भारत में जनसंख्या घनत्व के स्थानिक वितरण की विवेचना करें।

उत्तर - प्रति इकाई क्षेत्र में व्यक्तियों की संख्या को जनसंख्या घनत्व कहा जाता हैं | इससे भूमि पर जनसंख्या के स्थानिक वितरण को बेहतर ढंग से समझा जा सकता है। भारत का जनसंख्या घनत्व 382 व्यक्ति वर्ग कि०मी० (2011की जनगणना के अनुसार) हैं

राज्य स्तर पर जनसंख्या घनत्व –

          भारत में जनसंख्या घनत्व का राज्य स्तर पर काफी भिन्नता देखने को मिलती हैं | राज्य स्तर पर अरूणाचल प्रदेश में जनसंख्या घनत्व सबसे कम (17 व्यक्ति/वर्ग कि०मी०) और बिहार में सर्वाधिक (1102 व्यक्ति/वर्ग कि०मी०) मिलता हैं | जबकि केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे कम जनसंख्या घनत्व अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में (46 व्यक्ति/वर्ग कि०मी०) और सबसे अधिक देश की राजधानी दिल्ली में (11,297 व्यक्ति प्रति वर्ग) मिलता है। उत्तर भारत के राज्यों में बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में जनसंख्या घनत्व उच्चतर है जबकि प्रायद्वीपीय भारत के राज्यों में केरल और तमिलनाडू राज्यों  में उच्चतर घनत्व पाया जाता है।

जनसंख्या के असमान वितरण के कारक -
      भारत में जनसंख्या का असमान वितरण के पीछे देश का भौतिक, सामाजिक, आर्थिक, ऐतिहासिक कारक भी है। भौतिक कारकों में भू-विन्यास, जल की उपलब्धता और जलवायु प्रमुख है | इसीकारण उत्तर भारत के मैदानों, डेल्टाओं और तटीय मैदानों में जनसंख्या का घनत्व दक्षिणी और मध्य भारत के राज्यों से अधिक हैं | फिर भी सिंचाई के विकास, (राजस्थान) खनिज एवं ऊर्जा संसाधन की उपलब्धता (झारखण्ड) और परिवहन जाल के विकास (प्रायद्वीपीय) राज्यों के परिणामस्वरूप उन क्षेत्रों में जो पहले न्यूनवासी थे वहाँ अब मध्यम से उच्चतर जनसंख्या अनुपात पाया जाता है ।

      जनसंख्या वितरण के सामाजिक, आर्थिक और ऐतिहासिक कारकों में से महत्वपूर्ण कारक स्थायी कृषि का उद्भव और विकास, मानव बस्ती के प्रतिरूप, परिवहन जाल तंत्र का विकास, औद्योगीकरण और नगरीकरण है। ऐसा देखा गया है कि भारत के नदीय मैदानों और तटीय क्षेत्रों स्थित प्रदेश सदैव ही विशाल जनसंख्या वाले प्रदेश रहे हैं। यद्यपि उन प्रदेशों में जमीन और जल जैसे प्राकृतिक संसाधनों में उपयोग के कारण, निम्नीकरण हुआ है फिर भी मानव बस्ती के इतिहास और परिवहन जल तंत्र के कारण जनसंख्या का सान्द्रण उच्च बना हुआ है ।
शहरी स्तर पर जनसंख्या घनत्व -
       दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, पुणे, अहमदबाद, चेन्नई और जयपुर के नगरीय क्षेत्र औद्योगिक विकास और नगरीकरण के कारण बड़ी संख्या में ग्रामीण नगरीय प्रवासियों को आकर्षित किया है । इसलिए इन क्षेत्रों में जनसंख्या का घनत्व अधिक हैं |



14. रोपण कृषि की मुख्य विशेषताएँ बताइए एवं कुछ प्रमुख रोपण फसलों के नाम लिखें।

उत्तर - यूरोपीय लोगों द्वारा अपने अधीन उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के उपनिवेशों में बागबानी कृषि का प्रचालन शुरू किया गया जिसे रोपण कृषि कहा गया | इस प्रकार के कृषि के अंतर्गत चाय, कोफ़ी, कोको, रबड़, कपास, मसाले, गन्ना, केले एवं अनन्नास आदि का बागान लगाकर उनसे कई वषों तक उत्पादन लिया जाता हैं | इस प्रकार की कृषि व्यापारिक स्तर पर की जाती हैं जिसमें कुशल प्रशासक, श्रमिक, मशीनों आदि का इस्तेमाल किया जाता हैं | विश्व में रोपण कृषि दक्षिणी अमरीका, अफ्रीका एवं दक्षिणी-पूर्वी एशिया के उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में देखने को मिलती है।

             पुर्तगालियों द्वारा ब्राजील में कॉफ़ी का बागान लगाया गया | इन काफी के बागान को फेजेंडा कहा जाता हैं | फ्रांसीसियों द्वारा पश्चिम अफ्रीका में कॉफ़ी एवं कोको के बागान, ब्रिटिश द्वारा भारत एवं श्रीलंका में चाय की खेती, मलेशिया में रबड़ और पश्चिमी द्वीप समूह में गन्ना एवं केले का बाग़, स्पेन एवं अमेरिकावासीयों द्वारा फिलीपींस में नारियल व गन्ने का बागान, हौलैंडवासियों (डच) द्वारा  इंडोनेशिया में गन्ने की खेती की गई |

रोपण फसले - प्रमुख रोपण फसलों के नाम हैं – 

रबड़ (मलेशिया, इंडोनेशिया व थाईलैण्ड)

गन्ना (क्यूबापेरूवेनेजुएलाब्राजीलपूर्वी अफ्रीका एवं मेडागास्कर)

चाय (भारतचीनश्रीलंका) 

कहवा (ब्राजील कोलम्बियादक्षिण भारत), 

मसाले (दक्षिण भारतफिलीपीन्स), 

कोको (ब्राजीलपश्चिमी अफ्रीका)

नारियल (दक्षिण भारतफिलीपीन्स), 

केला (मध्य अमरीका, भारत तथा पश्चिमी द्वीपसमूह) आदि ।



अथवा,

भारत में सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग की व्याख्या कीजिए ।

उत्तर - इस उद्योग को ज्ञान आधारित उद्योग भी कहते हैं क्योंकि इसमें उत्पादन के लिए विशिष्ट नए ज्ञान, उच्च प्रौद्योगिकी और निरंतर शोध और अनुसंधान की आवश्यकता रहती है। यह वह उद्योग है जो मुख्यतः सूचना प्रौद्योगिकी (Information technology) से संबंधित हैं | इसने देश के आर्थिक ढाँचे तथा लोगों की जीवनशैली में बहुत क्रान्ति ला दिया है।

उद्योग के उत्पाद –

       इस उद्योग के अन्तर्गत आने वाले उत्पादों में ट्रॉजिस्टर से लेकर टेलीविजन, टेलीफोन, पेजर, राडार, सेल्यूलर, टेलीकाम, लेजर, जैव प्रौद्योगिकी, अंतरीक्ष उपकरण, कम्प्यूटर की यंत्र सामग्री (हार्डवेयर) तथा प्रक्रिया सामग्री (सॉफ्टवेयर) इत्यादि, इन्हें उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग भी कहते हैं। कच्चे माल पर आधारित न होने के कारण इलेक्ट्रानिक उद्योग को स्वच्छन्द या फुटलुज (Foot loose) उद्योग कहते हैं। 

ओद्योगिक केंद्र –

       इनके प्रमुख उत्पादक केन्द्र बंगलूर, मुम्बई, दिल्ली, हैदराबाद,  पूर्ण, चेन्नई, कोलकाता, कानपुर तथा लखनऊ हैं। बंगलौर को इलेक्ट्रानिक उद्योग की राजधानी कहते हैं। इसे सिल्कन नगर (Silicon city) भी कहते हैं। इसके अतिरिक्त 20 साफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क (Software Technology Parks) हैं। जो साफ्टवेयर विशेषज्ञों को एकल विंडो सेवा तथा उच्च आंकड़े संचार (High data Communication) सुविधा प्रदान करते हैं।

       इस उद्योग का प्रमुख महत्व रोजगार उपलब्ध कराना है। इसमें रोजगार पाए व्यक्तियों में लगभग 30 प्रतिशत महिलाएं हैं। पिछले कुछ वर्षों से यह उद्योग विदेशी मुद्रा प्राप्ति करने का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गया। है। जिसका कारण तेजी से बढ़ता व्यवसाय प्रक्रिया वाह्ययस्रोतीकरण (Business Process out sourcing BPO) है। इससे जुड़ी अर्थव्यवस्था को ज्ञान अर्थव्यवस्था भी कहते हैं।



15. सतत विकास की अवधारणा का वर्णन करें ।

उत्तर - सतत् विकास की अवधारणा :

       संसाधन मनुष्य के जीविका का आधार है। जीवन की गुणवत्ता बनाये रखने के लिए संसाधनों के सतत् विकास की अति आवश्यकता है। 'संसाधन प्रकृति प्रदत्त उपहार है' इस कथन को आदर्श मनाकर मानव ने इनका अंधाधुंध दोहन किया, जिसके कारण पर्यावरणीय समस्याएँ भी उत्पन्न हो गयी हैं।

व्यक्ति के लालच लिप्सा ने संसाधनों का तीव्रतम दोहन कर संसाधनों के भण्डार में चिंतनीय ह्रास ला दिया है।

       संसाधनों का केन्द्रीकरण (Centralization) खास लोगों के हाथों में आने से समाज दो स्पष्ट भागों में (सम्पन्न एवं विपन्न) बँट गया है। सम्पन्न लोगों द्वारा स्वार्थ के वशीभूत होकर संसाधनों का विवेकहीन दोहन किया गया। जिससे विश्व पारिस्थितिकी में घोर संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। भूमंडलीय तापन, ओजोन क्षय, पर्यावरण प्रदूषण, मृदा-क्षरण, भूमि विस्थापन, अम्लीय-वर्षा, असमय ऋतु परिवर्तन जैसी - पारिस्थितिकी-संकट पृथ्वी पर व्याप्त सभ्यता-संस्कृति को निगल जाने को तैयार है। अगर इन स्वार्थी तत्त्वों या देशों द्वारा अनवरत-विदोहन चलता रहा तो पृथ्वी का जैव-संसार विनाश के आगोश में समा जाएगा।

       उपरोक्त परिस्थितियों से निजात पाने एवं विश्व शांति के साथ जैव जगत् को गुणवत्तापूर्ण जीवन लौटाने के लिए सर्वप्रथम समाज में संसाधनों का न्याय-संगत बँटवारा जरुरी है। दूसरे शब्दों में कहे तो संसाधनों का नियोजित उपयोग होना आवश्यक है। इससे पर्यावरण को बिना क्षति पहुँचाये, भविष्य की आवश्यकताओं के मद्देनजर, वर्त्तमान विकास को कायम रखा जा सकता है । ऐसी धारणा ही सतत विकास (Sustainable Development) कही जाती है। इससे वर्त्तमान विकास के साथ भविष्य भी सुरक्षित रह सकता है।

अथवा,

 भारत में चावल के उत्पादन एवं वितरण का विवरण दीजिए।

उत्तर – चावल भारत कि प्रमुख खाद्यान्न फसल है जिस पर अधिकांश जनसंख्या निर्भर करती है। विश्व का 22% चावल क्षेत्र भारत में है तथा यह कुल कृषि भूमि का 23% है। चावल की कृषि के लिए अनुकूल भौगोलिक दशाएँ निम्नांकित हैं : (i) तापमान - यह उष्ण कटिबंधीय फसल है अतः इसकी उपज के लिये अधिक तापमान की आवश्यकता है। इसके लिये कम से कम 24° सेंटीग्रेड तापमान की आवश्यकता है। 

(ii) वर्षा - इसकी फसल के लिये 125 सें०मी०-200 सेंमी० वर्षा की आवश्यकता होती है। इससे कम वर्षा वाले क्षेत्र में सिंचाई की सहायता से फसल उगाई जा सकती है। 

(iii) मिट्टी - इसके लिये अत्यंत उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसकी मिट्टी चीकायुक्त दोमट होनी चाहिए ताकि पौधे की जड़ अच्छी तरह विकसित हो सके। 

(iv) श्रम - इसकी कृषि में मानव श्रम की अधिक आवश्यकता होती है। खेत की  तैयारी से लेकर रोपनी-कटनी तक का कार्य मानव श्रम द्वारा ही संपादित होता है। 

उत्पादन तथा वितरण : भारत का अधिकांश चावल जलोढ़ मिट्टी के क्षेत्र में तथा डेल्टाई एवं तटीय भागों में उत्पन्न किया जाता है। इसके अतिरिक्त यह हिमालय पर्वत की निचली घाटियों में सीढ़ीनुमा खेतों में तथा दक्षिणी पठार के कुछ घाटी क्षेत्रों में भी उगाया जाता है। सतलज-गंगा के मैदान में सिंचाई की सहायता से चावल की कृषि ने काफी प्रगति की है। इसके मुख्य उत्पादक राज्य प० बंगाल,  बिहार उत्तरप्रदेश आंध्रप्रदेशउड़ीसा छत्तीसगढ़असम,  केरल तमिलनाडु आदि है। प० बंगाल में चावल की तीनों ही किस्में उपजाई जाती हैं।





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