बराज (Barrage) और बांध (Dam) में अंतर
दोनों ही मानवनिर्मित संरचना है जो नदी के जल को नियंत्रित कर नहरों की ओर मोड़ने एवं बिजली उत्पन्न करने के उद्देश्य से बनाया जाता है।
बराज (Barrage) - यह नदी के सम्पूर्ण लम्बाई के बीचो बीच बनाया जाता है। इसका निर्माण वही होता है जहाँ Meandering River की धरातल समतल होती है। यह पानी की सतह से कुछ ही फ़ीट ऊँचा होता है जिसमे कई द्वारों कि श्रृंखला (Series of Gates) बनाई जाती है। इसको बनाने का मुख्य उद्देश्य जल की दिशा को मोड़ना होता है। परन्तु बराज के पीछे किसी प्रकार का कोई Reservoir या झील (Lake) नहीं बनता है। यह अपने नहरों को जल सीधे नदी से ही पंहुचा देता है।
बांध (Dam)- यह नदी घाटी के बीचो बीच बनाई गई ऊँची दीवार है। जिसका मुख्य कार्य अपने पीछे बने Reservoir या झील में जल को रोक कर जल संग्रह करना होता है ताकि इस जल का उपयोग सिंचाई और बिजली उत्पादन करने में किया जा सके। यह बाढ़ को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। बांध के शीर्ष के पास स्पिलवे फाटक (Spillway Gates) होता है जिससे नदी के जल को छोड़ा जाता है।
-परियोजना का नाम नदी लाभान्वित राज्य चम्बल परियोजना
1. जवाहर सागर बांध चम्बल राजस्थान
2. राणाप्रताप सागर बांध चम्बल राजस्थान
3. गाँधी सागर बांध चम्बल मध्य प्रदेश
-यह नहर राजस्थान की सबसे महत्वपूर्ण परियोजना है। जिसका मुख्य उद्देश्य सिंचाई की सुविधा प्रदान कर शुष्क भूमि को कृषियोग्य बनाना और हरियाली लाना है। रावी और ब्यास नदियों का जल सतलज में गिराकर इस नहर का निर्माण किया गया है। इंदिरा गाँधी के नाम पर इसे इंदिरा गाँधी नहर कहा जाता है। यह संसार की सबसे लम्बी (500 KM ) नहर है। इससे राजस्थान नहर भी कहा जाता है।
1. तिलैया बांध बरकार
2. मैथान बांध बरकार
3. बालपहाड़ी बांध बरकार
4. कोनार बांध कोनार
5. पंचेत पहाड़ी बांध दामोदर
6. बर्मी बांध दामोदर
फरक्का परियोजना - परियोजना का मुख्य उद्देश्य गंगा और हुगली नदीयों में
मयूराक्षी परियोजना - यह परियोजना पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद और वीरभूमि ज़िले की भयंकर बाढ़ से निपटने के लिए निर्माण की गयी। मयूराक्षी छोटा नागपुर पठार से निकलने वाली नदियाँ हैं। वर्षा के दिनों में इस नदी का जलस्तर भयानक रूप से बढ़ जाता है। अतः इस समस्या के समाधान हेतु नदी पर झारखंड के दुमका के निकट मसनजोर (Massanjor) बनाया गया । मसनजोर बाँध को 'कनाडा बाँध' भी कहते हैं, क्योंकि इस बाँध को बनाने के लिए कनाडा ने वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई थी। मसनजोर बाँध के नीचे की ओर तिलपाड़ा बैराज़ बनाया गया है।
भाखड़ा-नांगल परियोजना -यह भारत का दूसरा सबसे ऊँचा बांध है ,जिसकी ऊँचाई 226 मी. है। यह भारत की सबसे बड़ी बहुउद्देशीय परियोजना है। जो सतलज नदी पर बनाई गई है। बांध के बनने से उसके पीछे एक कृत्रिम झील का निर्माण हुआ जिसे गोविन्द सागर झील कहते है। इस परियोजना से हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान को लाभ मिला।
व्यास परियोजना - इस परियोजना के अंतरगर्त व्यास नदी पर पोंग बांध बाँध बनाया गया है। इससे हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान राज्यों को लाभ मिलता है।
थीन बांध परियोजना -पंजाब के पठानकोट ज़िले में इस परियोजना से पंजाब, हिमाचल प्रदेश तथा जम्मू-कश्मीर राज्यों को लाभ मिलता है।
हीराकुंड परियोजना - यह भारत ही नहीं विश्व की सबसे लम्बी मुख्य धारा बांध है। इस बांध की लम्बाई 4.8 किलोमीटर हैं। इस परियोजना के अंतरगर्त ओडिशा राज्य में संबलपुर जिले महानदी पर हीराकुंड बाँध बनाया गया। इस बाँध का निर्माण कार्य 1948 ईo में प्रारम्भ हुआ और 1953 ईo में पूर्ण बनकर तैयार हो गया। परन्तु यह 1957 ईo से ही पूरी तरह से कार्य करना प्रारम्भ किया। इस बाँध के पीछे जो कृत्रिम झील बना उसे "हीराकुंड" कहते है। यह परियोजना राउरकेला स्टील प्लांट को विधुत प्रदान करती है।
टिहरी परियोजना- यह बांध विश्व में 5 वीं और भारत की सबसे ऊँची बांध है जिसकी ऊँचाई 260.5 मी. है। इस बांध को भिलंगना एवं भागीरथी नदीयों के संगम पर उत्तराखंड राज्य के टिहरी जिले में निर्माण की गई। इस बांध को बनाने का कार्य 1978 ईo में प्रारम्भ की गई परन्तु आर्थिक, पर्यावरणीय आदि कारणों के बजह से देर से (2006 ईo) बनकर तैयार हुई।
रामगंगा परियोजना- रामगंगा उत्तराखंड
रिहन्द परियोजना - रिहन्द UP
माताटीला परियोजना- माताटीला परियोजना उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सयुंक्त परियोजना है। यह ललितपुर के निकट 'तलबाहाट' में स्थित है। माताटीला बाँध की निर्माण सन 1958 ईo में बेतवा नदी पर की गई थी। माताटीला परियोजना के अंतर्गत 10.2x3=30.6 मेगावाट की विद्युत इकाइयाँ लगाई गयी हैं।
राजघाट परियोजना- बेतवा UP एवं MP तवा परियोजना - तवा MP
मालप्रभा परियोजना - मालप्रभा कर्नाटक
घाटप्रभा परियोजना - घाटप्रभा कर्नाटक
शरावती परियोजना- यह परियोजना कर्नाटक राज्य के शरावती नदी पर बनाई गई है जिसपर 2 बांध बनाये गए है
1. गेरूसोप्पा बांध (Gerusoppa Dam)- शरावती कर्नाटक
2. लिंगनमक्की बांध (Linganamakki Dam)- )) ))
ऊपरी कृष्णा परियोजना - कृष्णा कर्नाटक
महात्मा गाँधी (जोग) - शरावती कर्नाटक
शिवसमुंद्रम परियोजना - कावेरी कर्नाटक
तुंगभद्रा परियोजना - इस परियोजना के अंतर्गत कृष्णा की सहायक नदी तुंगभद्रा नदी पर तुंगभद्रा बाँध बनाया गया है। इस नदी पर बनाया गया बाँध कर्नाटक में 'होस्पेट' नामक स्थान पर है। इस बाँध का निर्माण 1953 में पूरा हुआ। बाँध से निकालने वाली नहरों से कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के ज़िलों की सिंचाई होती है। हम्पी के निकट 8 मेगावाट के 9 विधुत सयंत्र लगाए गये हैं, जो कुल मिलाकर 72 मेगावाट विद्युत उत्पन्न करते
पचमपाद परियोजना - गोदावरी आंध्रप्रदेश
श्री सैलम परियोजना - कृष्णा आंध्रप्रदेश
निजाम सागर - मंजरा आंध्रप्रदेश
नागार्जुन सागर बांध परियोजना - यह तेलंगाना राज्य नालगोंडा जिला में कृष्णा नदी पर स्थित है। बौद्धभिक्षु नागार्जुन के नाम पर इसका नाम नागार्जुन सागर रखा गया। इस बाँध को बनाने की परिकल्पना 1903 में ब्रिटिश राज के समय की गयी थी। 10 दिसम्बर 1955 में इस बाँध की नींव तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने रखी थी। जो 1966 में बनकर पूरा हुआ।
पायकरा परियोजना - पायकरा तमिलनाडु
मेटूर परियोजना - कावेरी तमिलनाडु
पापनाशम परियोजना -ताम्रपर्णी तमिलनाडु
परम्बिकुलम-अलियार परियोजना -परम्बिकुलम तमिलनाडु एवं केरल
इडुक्की परियोजना - पेरियार केरल
पल्लीवासल परियोजना -मदिरापूजा केरल
मुल्लापेरियार बांध - मुल्लयार एवं पेरियार केरल एवं तमिलनाडु
साबरमती परियोजना - साबरमती गुजरात
उकाई परियोजना - ताप्ती गुजरात
जमनालाल बजाज सागर परियोजना - इसका नाम प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी जमनालाल बजाज के नाम पर रखा गया था। चुकी यह माही नदी के ऊपर बनाई गई है अतः इसे माही परियोजना के नाम से भी जाना जाता है। जोकि राजस्थान एवं गुजरात की सीमा से सटे बाँसवाड़ा जिले (राजस्थान) में बनाया गया है। इस परियोजना से गुजरात एवं राजस्थान राज्यों को लाभ मिलता है।
सरदार सरोवर परियोजना - सरदार सरोवर बाँध (Sardar Sarovar Dam) परियोजना दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बांध है जिसका निर्माण नर्मदा नदी पर किया गया है जो इस नदी पर बनने वाले 30 बांधों में से एक है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य गुजरात के सूखाग्रस्त इलाकों में पानी पहुंचना और मध्य प्रदेश के लिए बिजली उत्पन्न करना है। परन्तु यह बांध दुनिया की काफी विवादास्पद परियोजना में से एक है। इसके विवादों का सबसे मुख्य मुद्दा, विस्थापित किये गए परिवारों की संख्या और पर्यावरणीये विनाश है। सरकार और पर्यावरणविद में जारी मतभेद और संघर्ष के बीच नर्मदा बचाओ आंदोलन (Save Narmada Movement) हुआ जिसने आगे चल कर अपनी ज़मीन के लिए संघर्ष कर रहे परिवारों की मदद की। इस आंदोलन का नेतृत्व मेघना पाटेकर ने की।
सुवर्णरेखा परियोजना - सुवर्णरेखा झारखण्ड
लोकटक परियोजना -
दुलहस्ती परियोजना - चिनाब जम्मू-कश्मीरलोकटक परियोजना -
सलाल परियोजना - इस परियोजना की शुरुआत सन 1961 ईo में जम्मू कश्मीर राज्य के उधमपुर जिले में चिनाब नदी के ऊपर की गई थी ।
तुलबुल परियोजना - झेलम जम्मू-कश्मीर
चुखा जल विधुत परियोजना - वांग्चू भारत एवं भूटान
टनकपुर बांध परियोजना - महाकाली भारत एवं नेपाल
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