भारत के दो संस्थाओं बोटेनिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया (Botanical survey of India) और वन अनुसंधान संस्थान (Forest Research Institute) ने मिलकर 1970 में भारत की संकटग्रस्त जीवों एवं पादप (Plant) प्रजातियों की एक सूची तैयार की। इस सूची को ही Red Data Book कहा जाता हैं।
ग्रीन बुक (Green Book)-
यह पुस्तक असाधारण पौधों (Rare Plant ) की सूची हैं।
वन्य जीवों और पादपों को प्राकृतिक और कृत्रिम प्रकार के आवास प्रदान करके उनको संरक्षण दिया जाता है ये दोनों इसप्रकार से है -
(A) In Situ और
(B) Ex-Situ
(A) In Situ-
जब वन्य जीवों को उनके प्राकृतिक आवास में संरक्षित रखने का प्रयास किया जाता है तो इसे In Situ प्रयास कहा जाता हैं। इसके अंतर्गत विस्तृत भूखंड को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाता है। जैसे-राष्ट्रीय उधान (National Park), अभ्यारण्य (Sanctuary), जैवमंडल (Biosphere Reserves), बाघ परियोजना (Project Tiger) इत्यादि
(B) Ex-Situ-
जब वन्य जीवों को कृत्रिम आवासीये संरक्षन देकर बचाने का प्रयास किया जाता तो इसे Ex-Situ प्रयास कहते हैं। इनमे उन प्रजातियों को संग्रहित किया जाता है जिनके प्राकृतिक आवास नष्ट होने से विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। जैसे -प्रजनन केंद्र (Breeding Centre )
In Situ आवासीय संरक्षण के तहत वन्य प्राणियों को निम्न संरक्षित क्षेत्रों में सुरक्षा प्रदान किया जाता है -
(i) राष्ट्रीय उधान (National Park)-
यह एक विस्तृत क्षेत्र है जिसका उद्देश्य वन्य प्राणियों एवं वनस्पतियाँ को प्राकृतिक आवास में वृद्धि एवं प्रजनन की परिस्थितियाँ प्रदान किया जा सके। इसके अलावे इनका सार्वजनिक मनोरंजन तथा वैज्ञानिक उद्देश्यों की प्राप्ति की जा सके। इन उद्यानों में कृषि कार्य, वन उत्पादों को एकत्रित करना, पशु चारण तथा निर्माण कार्य वर्जित (Prohibited) होता है। विश्व का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान सन 1872 में USA के "येलो स्टोन पार्क" (Yellow Stone Park) को बनाया गया था। भारत का पहला राष्ट्रीय उधान (National Park) 1936 ईo में हैली राष्ट्रीय उधान (Hailey National Park) को बनाया गया जो बाद में जिम कार्बेट राष्ट्रीय उधान (Jim Corbett National Park) के नाम से जाना गया। वर्तमान में भारत में कुल 166 राष्ट्रीय उधान हैं। बांधवगढ़, फॉसिल, कान्हा, दुधवा, काजीरंगा इत्यादि कुछ राष्ट्रीय उद्यान के उदहारण है।
(ii) अभ्यारण्य (Sanctuary)-
यह एक ऐसा सुरक्षित क्षेत्र होता है जहाँ वन्य जीव सुरक्षित ढंग से रहते है। इस क्षेत्र में कृषि, वन उत्पाद को एकत्रित करने , मछली पकड़ने आदि की सीमित छूट होती हैं। वन्य जीवों के स्वाभाविक जैविक क्रियाएँ जैसे - घोंसला बनाना , जोड़ा बनाना, अंडे या बच्चे सेवना आदि पर बाधा पहुँचाने पर मालिकाना अधिकार सिमित किया जा सकता हैं। भारत में इनकी संख्या 515 है। नामदफा,मानस, शरावती,पलामू ,सरिस्का इत्यादी कुछ वन्य जीव अभ्यारण्य के उदहारण है
(iii) जैवमंडल (Biosphere Reserves)-
यह वह क्षेत्र है जहाँ प्राथमिकता के आधार पर जैव विविधता के कार्यक्रम चलाए जाते है। वर्तमान में विश्व में कुल 243 जैव मंडल है इनमें 18 जैव मंडल भारत में हैं। नीलगिरि को भारत का पहला जीव आरक्षण क्षेत्र 1986 में बनाया गया। इसके अलावे नंदा देवी, नोकरेक, मानस, सुंदरवन, मन्नार की कड़ी इत्यादि भारत के प्रमुख जैवमंडल के उदहारण है।
बाघ परियोजना (Project Tiger)-
बाघ परियोजना विश्व की बेहतरीन वन्य जीव परियोजनाओं में से एक हैं और इसकी शरुआत 1973 में हुई। शुरू में इसमें काफी सफलता प्राप्त हुई क्योंकि बाघों की संख्या बढ़कर 1985 ईo में 4002 और 1989 ईo में 4334 हो गयी। परन्तु 1993 ईo में इसकी संख्या घटकर 3600 तक पहुँच गई। वर्तमान में 50 बाघ रिजर्व भारत में है। बाघ संरक्षण मात्र एक संकटग्रस्त जाति को बचाने का प्रयास नहीं है बल्कि इसका उद्देश्य बड़े पैमाने पर जैव जाति को बचाना भी है। उत्तराखंड का कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान, पश्चिम बंगाल का सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान, मध्य प्रदेश का बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान, राजस्थान का सारिस्का वन्य जीव पशुविहार, असम का मानस बाघ रिजर्व, केरल का पेरियार बाघ रिजर्व आदि भारत के प्रमुख बाघ संरक्षण के उदाहरण है।

प्रजनन केंद्र (Breeding Centre ) -
प्रतिकूल परिस्थितियों में जीवों के प्रजनन दर में कमी आती है। ऐसी कई प्रजातियाँ हैं जिनकी प्रजनन दर कम होने के कारण संकटग्रस्त सूची में शामिल हो गई हैं। इसलिए ऐसे जीवों को Ex-Situ संरक्षण के दर्मियान जीवों को प्राकृतिक आवास से निकाल कर मानवीय देख रेख में कृत्रिम आवास में पालन-पोषण और प्रजनन कराया जाता है। जैसे- मध्य प्रदेश में मुरैना घड़ियाल प्रजनन केंद्र, हरियाणा का भोर सोदान, कुरुक्षेत्र मगरमच्छ प्रजनन केंद्र, उड़ीसा के नंदनकानन और मध्य प्रदेश का रीवा में उजले बाघ का प्रजनन केंद्र, राजस्थान में जयपुर के निकट गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र की स्थापना की गई है।
ये वे स्थान है जहाँ जीव एवं वनस्पतियों की संकटग्रस्त प्रजातियों की बहुलता हो। 1988 में नॉर्मेन मेयर्स (Normen Mayers) ने इन सीटू संरक्षण की प्राथमिकता के आधार पर करीबन 35 हॉट स्पॉट को चिंहित किया जिसमे से ज्यादातर Tropical Forest वाले क्षेत्रों में अवस्थित है । भारत में 4 हॉट स्पॉट के चिन्हित किये गए है-
(i) पश्चिमी घाट (The Western Ghat)
(ii) हिमालय (The Himalay)
(iii) इंडो-बर्मा प्रदेश (The Indo-Burma Region)
(iv) सुंडालेंड (Sundaland)- निकोबार द्वीप समूह

जैव अपहरण की समस्या (Bio Piracy Problem)-
विकसित देशों में तकनीक के दुरूपयोग से उत्तम गुण के जीवों और वनस्पतियों के आनुवंशिक गुणों वाले जीन को दूसरे में प्रत्यारोपित कर नए प्रकार का संकर(Hybrid) पौधा या जीव तैयार किए जा रहे हैं। इस हेराफेरी से विकासशील देशों को आर्थिक हानि पहुँच रही है। जैसेकि भारत के बासमती चावल से अमेरिका में धान (चावल) की एक नई प्रजाति विकसित हुई है जिसका प्लाज्मा बासमती के प्लाज्मा के समान है।
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