वन उस बड़े भू-भाग को कहते हैं जो पेड़ पौधों एवं झाड़ियों द्वारा आच्छादित होते हैं। ऐसे प्रकृति में स्वतः से उत्पन्न होने वाले वन को प्राकृतिक वन (Natural Forest) और मानव द्वारा विकसित किये गए वन को वानिकी वन (Forestry Forest) कहते है। वन एक नवीकरणीय संसाधन (Renewable Resource) है। जिन्हें पुनः ऊगा कर बार बार प्राप्त किया जा सकता है।
वन जीवन का प्रमुख हमसफ़र रहा हैं। हमारी भारतीय प्राचीन सभ्यता और संस्कृति का विकास भी वनों से ही प्रारम्भ हुआ है । आदीकाल से ही वन ऋषि-मुनियों की निवास स्थल एवं तापों भूमि के रूप में रही है। हमारे वेद और पुराणों की रचना भी वनों के शांत वातावरण में ही हुई। परन्तु आज आधुनिकता की दौड़ में हमने अपने अतीत की परम्पराओं को नकार दिया और वनो का दोहन करना शुरू कर दिया है , परिणामस्वरूप कई समस्याऐ उत्पन्न होने लगी है जैसे वर्षा में कमी (Reduction in Rainfall), भू तापमान में वृद्धि (Earth Warming), भूमि कटाव (Soil erosion) इत्यादि। जबकि वन पृथ्वी के लिए सुरक्षा कवज के सामान होती है। यह केवल एक संसाधन ही नहीं बल्कि पारिस्थितिक तंत्र के निर्माण, स्वच्छ वातावरण प्रदान करने और वर्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
वन विस्तार (Extension of Forest)
वन विस्तार के नजरिये से भारत विश्व का दसवाँ देश है, यहाँ करीब 68 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर वन का विस्तार मिलता है।जबकि रूस (Russia) वन के क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व का सबसे बड़ा देश है।
विश्व के 10 वृहम वन क्षेत्र वाले देश
1. रूस (Russia)
2. ब्राज़ील (Brazil),
3. कनाडा (Canada),
4. सयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America),
5. चीन (China),
6. कांगों (Congo),
7. ऑस्ट्रेलिया (Australia),
8. इंडोनेशिया (Indonesia) और
9. सूडान (Sudan)
10. भारत (India)
भारत राज्य की वन रिपोर्ट (India State of Forest Report- ISFR), 2015 अनुशार, देश में कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 24.16% भाग पर वनों का विस्तार पाया जाता है। जबकि क्षेत्रीय विस्तार असमान है पहाड़ो में सघन वन मिलते है तो मैदाने प्रायः वनविहीन (Forest less) हो गए है। वर्तमान में सघन वन भारत हिमालयीय राज्य (Himalayan States), पूर्वोत्तर राज्य (North-East States) एवं पश्चमी घाट की पहाड़ियों (Western Ghat Hills) पर पायी जाती है।
भारतीय वन सर्वेक्षण (Forest Survey Of India), 2017 के आकड़ों अनुशार, भारत के सर्वाधिक वन क्षेत्र वाले राज्य निम्नलिखित है -
राज्य क्षेत्रफल (वर्ग किलोमीटर में )
1.मध्य प्रदेश 77,414
2.अरुणाचल प्रदेश 66.964
3.छत्तीसगढ़ 55,547
4.ओड़िशा 51,345
5.महाराष्ट्र 50,682
भारतीय वन सर्वेक्षण (Forest Survey Of India), 2017 के आकड़ों अनुशार, भारत के सर्वाधिक वन प्रतिशत वाले राज्य निम्नलिखित है -
राज्य प्रतिशत क्षेत्र पर वन
वन सम्पदा तथा वन जीवों का ह्रास -
भारत में वनों के ह्रास का एक बड़ा कारन कृषिगत भूमि का फैलाव है। खास कर पूर्वोत्तर और मध्य भारत में जनजातियों द्वारा की जाने वाली स्थानांतरित कृषि या झूम कृषि। इसप्रकार की कृषि को स्लैश और बार्न खेती (Slash and Burn Farming) भी कहते है क्योकि इसप्रकार की कृषि पहले जंगलो को काटा जाता फिर उनमें आग लगा दी जाती है।
बड़ी विकास योजनाओं से भी वनों को बहुत नुकसान पहुँचता है 1952 ईo से नदी घाटी परियोजनाये (River Valley Project) जैसे - सरदार सरोवर बांध, टिहरी बांध आदि के कारण 5000 वर्ग किमी o से अधिक वन क्षेत्रों का विनाश हो चुका है।
खनन कार्य के कारण भी वनों का ह्रास हो रहा है जैसे पश्चिम बंगाल के टाइगर रिज़र्व (Tiger Reserve) में डोलोमाइट के खनन के कारण टाइगर रिज़र्व खतरे में है
पर्यावरण विद्धवानों के अनुशार संवर्द्धन (Enrichment ) यानि आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण वृक्षों का एकल रोपण करके दूसरी प्रजातियों के वृक्षों को खतरे में डालना। जैसे - हिमालय में चीड़ (Cheed), पाईन (Pine) के एकल रोपण से ओक(Oak) और रोडोडेंड्रॉन (Rhododendron) वनों का नुकशान और दक्षिण भारत में सागवान(Sagwan Tree) के एकल रोपण से अन्य वनों को नुकसान पहुँचना ।
वन विभिन्न प्रकार के जीवों का निवास स्थल होता है वनों के ह्रास से वहाँ रहने वाले जीवों का आवास भी सिकुड़ जाता है। परिणामस्वरूप आवास की कमी, भोजन का आभाव, जीवों का शिकार आदि से वन जीवों का विनाश होने लगता है। आज भारत के कई वन्य प्राणी या तो लुप्त हो गए है या विलुप्ती कगार पर है। जैसे-भारतीय चीता (Panther), गिद्ध (Vulture), काला हिरण (Black Buck), चीतल (Chinkara), भेड़िया (Wolf), दलदली हिरण (Swamp Deer), नीलगाय (Nilgai ), बारहसिंगा (Antelope), गेंडा (Rhinos), गिर शेर (Gir Lion), मगर (Crocodile), सारंग (Bustard), सफ़ेद सारस (White crane), धूसर बगुला (Gray Heron), पर्वतीय बटेर (Mountain Quil), मोर (Peacock), हरा कछुआ (Green sea Turtle), लाल पण्डा (Red Pand)
वन जीवों के अधिवास पर प्रतिकूल मानवीय प्रभाव के निम्न 3 प्रमुख कारण हैं -
(i) प्राकृतिक आवासों का अतिक्रमण -
(ii) प्रदुषण जनित समस्या
(iii) आर्थिक लाभ -
(i) प्राकृतिक आवासों का अतिक्रमण -नगरीकरण , औधोगिक विकास, बड़े बांध परियोजनाओं आदि के कारण जीवों के प्राकृतिक आवास जैसे जंगल, नदियाँ , तालाब , वेट लैंड , पहाड़ नष्ट हो रहे हैं। जीवों के प्राकृतिक आवास में मानवीय अतिक्रमण से इनका निवास स्थान छिन्न गया है जिसके कारण जीवों की सामान्य वृद्धि तथा प्रजनन क्षमता में कमी आई है।
(ii) प्रदुषण जनित समस्या - वायु, जल एवं मृदा प्रदुषण के कारण वन एवं वन्य जीवों का जीवन चक्र गंभीर रूप से प्रभावित होते है। इसके अलावे जीवों की संख्या में कमी का प्रमुख कारक पराबैंगनी किरणें, अम्ल-वर्षा और हरित गृह प्रभाव भी है।
(iii) आर्थिक लाभ - जीव -जंतुओं की खरीद बिक्री एवं अवैध शिकार के कारण। जैसे की चीन वन जीवों के काला बाजारी का मुख्य केंद्र है।
वन विस्तार (Extension of Forest)
वन विस्तार के नजरिये से भारत विश्व का दसवाँ देश है, यहाँ करीब 68 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर वन का विस्तार मिलता है।जबकि रूस (Russia) वन के क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व का सबसे बड़ा देश है।
विश्व के 10 वृहम वन क्षेत्र वाले देश
1. रूस (Russia)
2. ब्राज़ील (Brazil),
3. कनाडा (Canada),
4. सयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America),
5. चीन (China),
6. कांगों (Congo),
7. ऑस्ट्रेलिया (Australia),
8. इंडोनेशिया (Indonesia) और
9. सूडान (Sudan)
10. भारत (India)
भारत राज्य की वन रिपोर्ट (India State of Forest Report- ISFR), 2015 अनुशार, देश में कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 24.16% भाग पर वनों का विस्तार पाया जाता है। जबकि क्षेत्रीय विस्तार असमान है पहाड़ो में सघन वन मिलते है तो मैदाने प्रायः वनविहीन (Forest less) हो गए है। वर्तमान में सघन वन भारत हिमालयीय राज्य (Himalayan States), पूर्वोत्तर राज्य (North-East States) एवं पश्चमी घाट की पहाड़ियों (Western Ghat Hills) पर पायी जाती है।
भारतीय वन सर्वेक्षण (Forest Survey Of India), 2017 के आकड़ों अनुशार, भारत के सर्वाधिक वन क्षेत्र वाले राज्य निम्नलिखित है -
राज्य क्षेत्रफल (वर्ग किलोमीटर में )
1.मध्य प्रदेश 77,414
2.अरुणाचल प्रदेश 66.964
3.छत्तीसगढ़ 55,547
4.ओड़िशा 51,345
5.महाराष्ट्र 50,682
भारतीय वन सर्वेक्षण (Forest Survey Of India), 2017 के आकड़ों अनुशार, भारत के सर्वाधिक वन प्रतिशत वाले राज्य निम्नलिखित है -
राज्य प्रतिशत क्षेत्र पर वन
1.लक्षद्वीप 90.33
- देश के कुल वनाच्छादित क्षेत्र (Forest cover area) का 25.11 % वन क्षेत्र पूर्वोत्तर ( North-East States) 7 राज्यों में हैं।
- भारत में 188 आदिवासी जिलों (Tribe Districts) में कुल वन क्षेत्र का 60.11 % पाया जाता है।
- देश में वनाच्छादित क्षेत्र के मामले में मध्य प्रदेश का प्रथम स्थान है।
- हाल के वर्षों में वन विकास में भारत चीन के बाद दूसरे स्थान पर है।
- अत्यंत सघन वन (Very DenSe Forest)- भारत में इस प्रकार के वन का विस्तार कुल भौगोलिक क्षेत्र का 1.66 % भाग पर पाया जाता है , पूर्वोत्तर राज्य के असम सिक्किम को छोड़कर शेष सभी राज्य इस वर्ग में आते है। इन क्षेत्रों में वनों का घनत्व 75 % से अधिक है।
- सघन वन (Moderately Dense Forest)- भारत में इसप्रकार के वन कुल भौगोलिक क्षेत्र (Geographical Area) का 3 % भाग पर पाए जाते है। इसके अंतरगर्त हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, मध्य प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र और उत्तराखंड के पहाड़ी वनिये क्षेत्रों आते है। इन क्षेत्रों में वनों का घनत्व (Density) 62.99 % है।
- खुले वन (Open Forest) - ये वन कुल भौगोलिक क्षेत्र कें 7.12 % भाग पर पाए जाते है। इसके अंतरगर्त कर्नाटक , तमिलनाडु,केरल, आंध्रप्रदेश, उड़ीसा एवं असम के वन क्षेत्र आते है।
- झाड़ियां एवं अन्य वन (Bushes and Other Forest)- इस प्रकार के वन मरुस्थलीय(Desert) भाग और अर्द्ध शुष्क (Semi Arid) भागों में पाए जाते है। इसके अलावे ये वन पंजाब,हरियाणा, उत्तरप्रदेश, बिहार एवं पश्चिम बंगाल के मैदानी भागों में मिलते है जो कुल भौगोलिक क्षेत्र के 8.68 % भाग पर पाए जाते है।
- मैंग्रोव वन या तटीय वन (Mangroves or Coastal Forest) -इस प्रकार के वन समुन्द्र तटीय राज्यों में फैला हुआ है, जिनमे प्रमुख रूप से पश्चिम बंगाल के सुंदरवन, गुजरात एवं अंडमान-निकोबार द्वीप समूह आते हैं।
- आरक्षित वन (Reserved Forest)
- रक्षित वन (Protected Forest)
- अवर्गीकृत वन (Unclassified Forest)
- आरक्षित वन (Reserved Forest)- ऐसे वन जलवायु की दृष्टि (View of Climate) से महत्वपूर्ण होते हैं। इन वनो में पशुचारण (Pasturing) और लकड़ियां काटने (Lumbering) या अन्य वनोत्पाद प्राप्त की सख्त मनाही (Strictly Prohibited) होती हैं। ऐसे वन वन्य जीवों की सुरक्षा, बाढ़ की रोकथाम, भूमि-कटाव से रक्षा और मरुस्थल के प्रसार को रोकने में बहुत मत्वपूर्ण होते है। देश का 54 % वन आरक्षित वन (Reserved Forest) घोषित है।
- रक्षित वन (Protected Forest)- ऐसे वनों में सिर्फ सरकार की ओर से लाइसेंस प्राप्त लोगो को पशुओं को चराने और सीमित रूप में लकड़ी काटने की सुविधा दी जाती है। परन्तु यहाँ पशुओं का शिकार करना सख्त मनाही होती है। वन विभाग के अनुशार कुल वन क्षेत्र का 29 % भाग रक्षित वन (Protected Forest) है।
- अवर्गीकृत वन (Unclassified Forest)- ऐसे वनो में पशुओं को चराने और लकड़ीयां काटने के लिए सरकार की ओर से तो कोई प्रतिबन्ध नहीं होता है,परन्तु उपयोगकर्ता को सरकार को टैक्स देना पड़ता है। कुल वन क्षेत्र का 17 % अवर्गीकृत वन (Unclassified Forest) है।
वन सम्पदा तथा वन जीवों का ह्रास -
भारत में वनों के ह्रास का एक बड़ा कारन कृषिगत भूमि का फैलाव है। खास कर पूर्वोत्तर और मध्य भारत में जनजातियों द्वारा की जाने वाली स्थानांतरित कृषि या झूम कृषि। इसप्रकार की कृषि को स्लैश और बार्न खेती (Slash and Burn Farming) भी कहते है क्योकि इसप्रकार की कृषि पहले जंगलो को काटा जाता फिर उनमें आग लगा दी जाती है।
बड़ी विकास योजनाओं से भी वनों को बहुत नुकसान पहुँचता है 1952 ईo से नदी घाटी परियोजनाये (River Valley Project) जैसे - सरदार सरोवर बांध, टिहरी बांध आदि के कारण 5000 वर्ग किमी o से अधिक वन क्षेत्रों का विनाश हो चुका है।
खनन कार्य के कारण भी वनों का ह्रास हो रहा है जैसे पश्चिम बंगाल के टाइगर रिज़र्व (Tiger Reserve) में डोलोमाइट के खनन के कारण टाइगर रिज़र्व खतरे में है
पर्यावरण विद्धवानों के अनुशार संवर्द्धन (Enrichment ) यानि आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण वृक्षों का एकल रोपण करके दूसरी प्रजातियों के वृक्षों को खतरे में डालना। जैसे - हिमालय में चीड़ (Cheed), पाईन (Pine) के एकल रोपण से ओक(Oak) और रोडोडेंड्रॉन (Rhododendron) वनों का नुकशान और दक्षिण भारत में सागवान(Sagwan Tree) के एकल रोपण से अन्य वनों को नुकसान पहुँचना ।
वन विभिन्न प्रकार के जीवों का निवास स्थल होता है वनों के ह्रास से वहाँ रहने वाले जीवों का आवास भी सिकुड़ जाता है। परिणामस्वरूप आवास की कमी, भोजन का आभाव, जीवों का शिकार आदि से वन जीवों का विनाश होने लगता है। आज भारत के कई वन्य प्राणी या तो लुप्त हो गए है या विलुप्ती कगार पर है। जैसे-भारतीय चीता (Panther), गिद्ध (Vulture), काला हिरण (Black Buck), चीतल (Chinkara), भेड़िया (Wolf), दलदली हिरण (Swamp Deer), नीलगाय (Nilgai ), बारहसिंगा (Antelope), गेंडा (Rhinos), गिर शेर (Gir Lion), मगर (Crocodile), सारंग (Bustard), सफ़ेद सारस (White crane), धूसर बगुला (Gray Heron), पर्वतीय बटेर (Mountain Quil), मोर (Peacock), हरा कछुआ (Green sea Turtle), लाल पण्डा (Red Pand)
(i) प्राकृतिक आवासों का अतिक्रमण -
(ii) प्रदुषण जनित समस्या
(iii) आर्थिक लाभ -
(i) प्राकृतिक आवासों का अतिक्रमण -नगरीकरण , औधोगिक विकास, बड़े बांध परियोजनाओं आदि के कारण जीवों के प्राकृतिक आवास जैसे जंगल, नदियाँ , तालाब , वेट लैंड , पहाड़ नष्ट हो रहे हैं। जीवों के प्राकृतिक आवास में मानवीय अतिक्रमण से इनका निवास स्थान छिन्न गया है जिसके कारण जीवों की सामान्य वृद्धि तथा प्रजनन क्षमता में कमी आई है।
(ii) प्रदुषण जनित समस्या - वायु, जल एवं मृदा प्रदुषण के कारण वन एवं वन्य जीवों का जीवन चक्र गंभीर रूप से प्रभावित होते है। इसके अलावे जीवों की संख्या में कमी का प्रमुख कारक पराबैंगनी किरणें, अम्ल-वर्षा और हरित गृह प्रभाव भी है।
(iii) आर्थिक लाभ - जीव -जंतुओं की खरीद बिक्री एवं अवैध शिकार के कारण। जैसे की चीन वन जीवों के काला बाजारी का मुख्य केंद्र है।
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