भारत का जल संसाधन (Water Resources of India)
जल एक अमूल्य प्राकृतिक संसाधन है जो सम्पूर्ण पारिस्थितिक तन्त्र के लिए ही महत्त्वपूर्ण है, पर मानव के लिए इसके विशेष महत्त्व हैं क्योंकि इसका उपयोग वह पेय जल, सिंचाई, उद्योग, घरेलू कार्य, ऊर्जा इत्यादि कार्यो में करता है।
जल संसाधन के प्रकार (Types of Water Resources)
भारत में जल संसाधनों का स्रोत मुख्य रूप से वर्षा जल ही है, परन्तु कुछ भागों में हिम भी महत्त्वपूर्ण है। पर्वतों पर जमा हिम गर्मियों में पिघलकर नदियों में प्रवाहित होता है। जल संसाधन को निम्न दो भागों में बाँटा जा सकता है –
(A) सतही जल संसाधन (Surface water) - ग्लेशियर, नदियाँ, सागर, तालाब, झील
(B) भूमिगत जल संसाधन (Underground Water Resource)- कुआँ, हैंडपंप
(A)
देश की नदी प्रणाली में 1869 अरब घन मीटर जल होने की संभावना है। सतही जल का मुख्य स्रोत
1. सिन्धु
2. गंगा
3. ब्रह्मपुत्र
4. पूर्वी तट की नदियाँ
5. पश्चिम तट की नदियाँ
6. अंत: प्रवाही बेसिन
(B) भूमिगत जल संसाधन (Underground Water Resources)
देश में भूगर्भिक जल का विस्तृत भंडार है परन्तु वितरण बड़ा असमान है। चट्टानों की संरचना, धरातलीय दशा, जलापूर्ति दशा आदि कारक भूमिगत जल की मात्रा को प्रभावित करते हैं। भूमिगत जल की उपलब्धि के आधार पर भारत के तीन प्रदेश चिन्हित किये जा सकते हैं –
1. उत्तरी मैदान (कोमल मिट्टी, प्रवेश्य चट्टानें) – 42% जल
2. प्रायद्वीपीय पठार (कठोर अप्रवेश्य चट्टानें) – कम जल
भारत में भूमिगत जल क्षमता का मूल्यांकन
जल संसाधनों का उपयोग (Use of Water Resource)
जल संसाधन का उपयोग निम्नलिखित है –
1. कृषि क्षेत्र –
जल का प्रमुख उपयोग सिंचाई में होता है. भारत का अधिकांश भाग उष्ण और उपोष्ण कटिबन्ध में स्थित है इसलिए अधिक वाष्पोत्सर्जन के कारण सिंचाई के लिए जल की आवश्यकता पड़ती है।
2. जल से बिजली उप्तादन –
यह ऊर्जा का प्रदूषणरहित और सस्ता स्रोत है. भारत में 84,000 MW जलशक्ति उत्पादन की क्षमता है।
3. घरेलू जल आपूर्ति –
राष्ट्रीय जल नीति के अनुसार, पेयजल की आपूर्ति को सबसे अधिक प्राथमिकता दी गई है।
4. औद्योगिक उपयोग –
औद्योगिक विकास के लिए पर्याप्त जल की आपूर्ति की आवश्यकता है। 2025 तक उद्योगों को 120 अरब घन मीटर जल की आवश्यकता होने का अनुमान है।
जल संसाधनों के उपयोग की समस्याएँ
1. सभी के लिए पेय जल हेतु स्वच्छ जल का अभाव है।
2. जलके प्रदूषण या उसकी गुणवत्ता की समस्या है।
3. पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उ.प्रदेश में जल के अति दोहन की समस्या है।
4. समुद्र में जाने वाले जल के उपयोग को सुलभ बनाने के लिए तकनीक का अभाव है।
बहुउद्देशीय नदीघाटी परियोजनाएँ (Multi-purpose River Dam Project)
जब नदी पर बराज बनाकर (बाँध बनाकर जल रोकना ) उसका ऐसा उपयोग में लाना की उससे सिंचाई के साथ साथ जलविधुत उत्पन्न किया जा सके, बाढ़ पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सके, मिट्टी कटाव पर रोकथाम, मत्स्य पालन, पर्यटन केंद्र के रूप में विकास किया जाये आदी अनेको लाभ लिया जाये तो ऐसे परियोजना को ही
भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद नदियों पर अनेको बाँध बनाकर नदीघाटी परियोजनों का विकास किया गया।
1. दामोदर घाटी परियोजना (Damodar valley Project)- यह भारत की पहली नदीघाटी परियोजना है। जो बंगाल की शोक दामोदर नदी पर बनाई गई है।
2. भाखड़ा-नांगल परियोजना (Bhakhda- Nagal Project)- यह सतलज नदी पर हिमाचल एवं पंजाब के सीमा पर बनाई गई है। जिस समय इसका निर्माण हुआ था तब यह भारत की सबसे ऊँची बाँध (226 m) थी। पर आज यह भारत की दूसरी सबसे ऊँची बाँध है।
3. हीराकुद - यह बाँध ओडिशा राज्य में महानदी के ऊपर बनाई गई है। यह संसार का सबसे लम्बा बाँध (4.8 Km ) है।
4. कोसी परियोजना (Kosi Project)- यह बांध बिहार की शोक कोसी नदी पर बनाई गई है। इसका मुख्य उद्देश्य बाढ़- नियंत्रण, सिंचाई, भूमि-संरक्षण, मलेरिया-नियंत्रण और जलविधुत उत्पादन है।
5. चम्बल घाटी परियोजना (Chambal valley Project)- इसके अंतर्गत चम्बल नदी पर 3 बाँध - गाँधी सागर, राणा प्रताप सागर और कोटा बनाये गए हैं। इस परियोजना से राजस्थान एवं मध्य प्रदेश में सिंचाई तथा मिट्टी - संरक्षण हुआ।
6. तुंगभद्रा परियोजना (Tungabhadra Project)- यह दक्षिण भारत की सबसे बड़ी नदीघाटी परियोजना है। जो की कृष्णा की सहायक नदी
8. नर्मदाघाटी परियोजना (Narmada valley Project)
नदी पर बनाये गए प्रमुख बांध- इंदिरा सागर बाँध, सरदार सरोवर बाँध, बरगी परियोजना, ओंकारेश्वर परियोजना, तवा परियोजना।
सरदार सरोवर बाँध (Sardar Sarovar Dam)- सरदार सरोवर परियोजना भारत और दुनिया में सबसे अधिक विवादास्पद परियोजना है। इसके विवादों का सबसे मुख्य मुद्दा, विस्थापित किये गए परिवारों की संख्या और पर्यावरणीये विनाश था। सरकार और पर्यावरणविद में जारी मतभेद और संघर्ष के बीच
9. इंदिरा गाँधी नहर परियोजना (Indra Gandhi Canal Project)- यह राजस्थान की महत्वपूर्ण परियोजना है। इसे
10. सोन परियोजना (Son Project)- यह दक्षिण-पश्चिम बिहार की प्रसिद्ध नदी सोन पर सिंचाई परियोजना के रूप में चालू की गई थी। जल संग्रहण के लिए
11. रिहन्द परियोजना (Rihand Project)- इस परियोजना का निर्माण उत्तर प्रदेश में सोन की सहायक नदी रिहन्द पर की गई है। बांध के बनने से एक कृत्रिम झील का निर्माण हुआ जिससे
12. टिहरी बाँध (Tehari Dam)- यह बाँध उत्तराखंड राज्य के टिहरी जिले में स्थित है। जो गंगा की दो महत्वपूर्ण
सहायक नदियों
नोट - देश को विकास के रास्ते पर ले जाने वाले इन परियोजनाओं को प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू का मानना था की नदी-घाटी परियोजनाएँ कृषि, औधोगिकरण, ग्रामीण अर्थव्यवस्था तथा नगरीय व्यवस्था को संतुलित रूप से विकसित कर सकेगी।
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