गुरुवार, 30 जुलाई 2020

उल्कापिंड (Meteoroids)

       ये अंतरिक्ष में अति तीव्र गति से विचरण करने वाले ब्रह्मांडीय चट्टानी छोटे टुकड़े है | जब कभी ये पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर जाते है और वायुमंडलीय घर्षण से जल उठते है तो इन जलते हुए आकाशीय पिंड को ही उल्का कहा जाता है | इनको टूटता हुआ तारा (Shooting Star) भी कहा जाता है | अंतरिक्ष में ये 12-72 कि.मी प्रति सेकंड की गति से घुमते है |
      प्रायः उल्कापिंड वायुमंडल में ही जलकर समाप्त हो जाते है |  जो करीबन पृथ्वी के धरातल से 80 कि.मी की ऊँचाई पर ही घर्षित होकर पुर्णतः नष्ट हो जाते है | लेकिन कभी कभी इनका अंश धरती तक पहुँच जाता है तो इनको  उल्का पिंड कहा जाता है |
      पृथ्वी की सतह पर मिलने वाला सबसे बड़ा उल्कापिंड होबा वेस्ट है | जो नामीबिया के ग्रूटफ्रंटियर के पास पाया गया है | पृथ्वी की सतह पर मिलने वाला उल्का का अवशिष्ट गोला ग्लासी पदार्थ टेक्टाइट कहलाता हैं |


           पृथ्वी के धरातल पर भारी उल्कापिंडों के गिरने से उल्कपातीय क्रेटर का निर्माण होता है | USA के एरिजोना में विन्सलों के पास बैरिगर क्रेटर विश्व का सर्वाधिक प्रसिद्ध उल्कापाती क्रेटर है |  भारत में महाराष्ट्र के बुल्ढाना जिले की लोनार झील भी उल्कापाती क्रेटर झील का उदाहरण है , जिसका व्यास 1.5 कि.मी तथा 100 मीटर है |

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