गुरुवार, 30 जुलाई 2020

पुच्छल तारे या धुमकेतू (Comets)

      ये आकाशीय धुल, बर्फ और हिमानी गैसों से निर्मित पिंड है, जो सूर्य से दूर ठंडे और अँधेरे क्षेत्र में मुख्यतः कूपर बेल्ट (Kuiper Belt) और Oort Cloud में पाए जाते है | ये सूर्य के चारों ओर लम्बी किन्तु अनियमित कक्षा में घूमते है |
      धूमकेतु जब कई वर्षों बाद सूर्य के पास से गुजरते है तो ताप में वृद्धि के कारण इनसे गैसों की फुहारे निकलने लगती है, जो एक लम्बी चमकीली पुंछ के समान प्रतीत होते है | इसीकारण इन्हें पुच्छल तारा भी कहा जाता है | इनकी पुंछ कभी कभार लाखों किमी. तक लम्बी हो सकती है |

धूमकेतु के प्रकार -
इनको 2 वर्गों में बाटा जा सकता है -
1. दीर्घ अवधि के धूमकेतु (धूलकणों से युक्त)
2. लघु अवधि के धूमकेतु (विधुत आवेश युक्त)

धूमकेतु के तीन भाग होते है-

नाभि-

कोमा- नाभि के चारों ओर गैस और धुल के बादल को कोमा कहा जाता है |

पूँछ- नाभि और कोमा से निकलने वाली गैस और धुल से बनने वाली रेखा को पूँछ कहते है |

कुछ प्रमुख पुच्छल तारे-

हैली धूमकेतु (Halley Comet)- 
      यह धूमकेतु 76 वर्षो में एक बार दिखाई देता है | अंतिम बार इसको 1986 में देखा गया था अगली बार ये 2062 में दिखेगा |

हेल-बॉप 
     यह पुच्छल तारा 23 जुलाई, 1995 को बृहस्पति के कक्षा के बाहर चकते देखा गया था | इसकी खोज एलन हेल और थामस बॉप ने की थी |

शूमेकर (Shoemaker Levy-9)- 
      यह 6 मील लम्बा था जो 1994 में बृहस्पति से टक्करा कर समाप्त हो गया | 

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