गुरुवार, 30 जुलाई 2020

भूकंप



भूकंप लेखी (Seismograph)-
       वह यंत्र जिसके द्वारा भूकंपीय लहरों का अंकन (record) किया जाता है | यह यंत्र भूकंप अधिकेन्द्र (Epicentre) पर लगा होता है | इसके द्वारा ही भूकंपीय लहरों की उत्पत्ति केंद्र (Focus), गति (motion) तथा प्रभावित क्षेत्र (effected zone) की जानकारी प्राप्त होती है |

भूकंपीय तरंगे (Seismic waves)-
      यह एक उर्जा तरंग है जो की अचानक भूमि के भीतर चट्टानों के टूटने या चटकने से उत्पन्न होती है | पृथ्वी की गहराई में जिस स्थान पर भूकंपीय तरंगों की उत्पत्ति होती है उस स्थान को 

(1)काय तरंग (Body Waves)
(2)पृष्ठीय तरंग (Surface Waves)


(1) काय तरंग (Body Waves)-
      ये तरंगे बिना माध्यम के आगे नही बढ़ सकती | इसीकारण इन्हें Body Waves कहा जाता है | ये पृथ्वी के भीतरी परतों में यात्रा करते हुए पृष्ठीय तरंग (Surface Waves) से पहले धरातल पर प्रकट होती है | इन तरंगों की आवृति भी काफी उच्च होती है| इन तरंगो को पुनः 2 उपवर्गों में बांटा जाता है –
(A)प्राथमिक तरंगे या P तरंगे (Primary Or P Waves)
(B)द्वीतीय तरंगे या S तरंगे (Secondary or S Waves)

(A)प्राथमिक तरंगे या P तरंगे (Primary Or P Waves)-
     प्राथमिक या प्रधान तरंगो की Waves) भी कहते हैं | इनमें पदार्थो के कण गति की दिशा में ही दोलित होते हैं | ये तरंगे ठोस भागों में अत्यधिक तीव्र गति से प्रवाहित होते हैं | जबकि द्रव माध्यम में ये थोड़ा मुड़ जाती है | इन तरंगो के धरातल पर पहुँचते ही खिड़किया खड़खड़ाने (rattle) लगती है | पशु और पक्षी इन तरंगो के धरातल पर पहुँचने के पूर्व ही सुन पाने में सक्षम होते है | अतः वे घबड़ा कर इधर उधर भागने लगते है जैसे की इन तरंगों के आने से पूर्व कुत्ते उन्मादपूर्ण तरीके (hysterically) से भौकने लगते है |





(B)द्वीतीय तरंगे या S तरंगे (Secondary or S Waves)-
        इनकी प्रकृति जल तथा प्रकाश तरंगों से मिलती-जुलती हैं | इनमें कणों की गति लहर की दिशा के समकोण पर काटती है | इनकी सबसे मुख्य विशेषता यह है की प्रायः द्रव भाग (Fluid) में लुप्त हो जाती है | क्योंकि ये तरंगे पृथ्वी के ऊपरी क्रोड़ (Outer Core) में बिल्कुल गायब हो जाती है | इनकी गति प्राथमिक तरंगों से धीमी होती है अतः यह धरातल पर P तरंगों के बाद पहुँचती है |




(2) पृष्ठीय तरंग (Surface Waves)- 
      वे तरंगे सिर्फ  भूपर्पटी (Earth Crust) पर सिर्फ चलती हो |इन तरंगों की आवृतियाँ और गति दोनों ही काय तरंग (Body Waves) से कम होती है परन्तु इन्हें आसानी से (Epicentre) पर पहुँचती हैं जिसके कारण इनका पथ सर्वाधिक लम्बा होता है और अधिकेन्द्र पर सबसे बाद में पहुँचता है | पथ लम्बा होने के कारण इन्हें

(A) लव तरंग (Love Waves)
(B) रैले तरंग (Rayleigh Waves)

(A) लव तरंग (Love Waves)-
      यह प्रथम प्रकार का सतही तरंगे (Surface Waves) है जिसका नाम भौतिकशास्त्री A.E.H. Love के नाम पर रखा गया है | यह धरातल पर चलने वाली सबसे तीव्रतम तरंगे है | इन तरंगो की गति पूर्णतया क्षैतिज (Horizontal) होती है, जो तरंग गति की दिशा में समकोण (Right Angle) बनाती है |





(B) रैले तरंग (Rayleigh Waves)-
      ) के नाम पर रखा गया है | ये तरंगे वैसे ही घूमते (roll) हुए आगे बढती है जैसे शांत जल में कंकर के फेंकने से तरंगे बढती है | ये तरंगे सभी तरंगो में सबसे बड़ी होने के साथ साथ सबसे ज्यादा झंझोरने (Shaking) वाली होती है |



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